सारे जग पर वही छा गई रौशनीराम के शह्र से जो उठी रौशनी क्यूँ न दीवाली ये छाए माहौल परझूट पर सच की है फ़तहा की रौशनी उन की किस किस सिफ़त का बयाँ मैं करूँराम के हर अमल से उगी रौशनी हर तरफ़ रात में था अँधेरा बहुतजगमगाए दिये तो हुई रौशनी क्या अजब […]
कविता
उठो कवीराज अब आंखें खोलो
उठो कवीराज अब आंखें खोलो,,शिमला की मस्जिद, वक्फ बोर्ड बिल पर कुछ तो बोलो… खोली थी जो तुम्हारे आका ने जो मुहब्बत की दुकान,,देखो हिमाचल में बिक रहा उसमें नफरत का सामान… तुम तो चले थे भारत जोड़ने,,देखो तुम्हारे लोग लगे हैं शिमला में मस्जिद तोड़ने… कहां गये तुम्हारे आका, कोई कुछ क्यों नहीं बोलता,,हिमाचल, […]
रमज़ान जा रहा है
कविता: रमज़ान जा रहा हैकवि: नासिर मनेरीसंस्थापक व अध्यक्ष: मनेरी फाउंडेशन, इंडिया ग़मगीन सब को कर के मेहमान जा रहा है।कर के उदास माह-ए-गुफरान जा रहा है।। मस्जिद की रौनकें भी अब खत्म हो रही हैं।सदमा हज़ार देकर रमज़ान जा रहा है।। रोजा नमाज़, सहरी, इफ्तारी व तरावीह।हमराह-ए-हर सआदत मेहमान जा रहा है।। रहमत थी, […]