नज़्म: चांद का सफर
कविता
रमज़ान जा रहा है
कविता: रमज़ान जा रहा हैकवि: नासिर मनेरीसंस्थापक व अध्यक्ष: मनेरी फाउंडेशन, इंडिया ग़मगीन सब को कर के मेहमान जा रहा है।कर के उदास माह-ए-गुफरान जा रहा है।। मस्जिद की रौनकें भी अब खत्म हो रही हैं।सदमा हज़ार देकर रमज़ान जा रहा है।। रोजा नमाज़, सहरी, इफ्तारी व तरावीह।हमराह-ए-हर सआदत मेहमान जा रहा है।। रहमत थी, […]
नग़म- ए- देश भक्ति
दुनिया तेरा आईना हिन्दोस्ताँकितना प्यारा है मेरा हिन्दोस्ताँ क्यूँ न हो यकता- ए- आलम हुस्न मेंतू तो है जन्नत नुमा हिन्दोस्ताँ काश लिख देता ख़ुदा ऐसा नसीबतुझ पे हो जाते फ़िदा हिन्दोस्ताँ इस जहाँ के इतने सारे मुल्कों मेंकौन है सानी तेरा हिन्दोस्ताँ किस क़दर शफ़्फ़ाफ़ है जाँ बख़्श हैतेरा पानी ओर हवा हिन्दोस्ताँ देखो […]