सामाजिक साहित्यिक

एक ईरानी लघु फिल्म: जब बाप ने चुराई रोटी….

ग़रीब बाप ने दुकान से रोटी चुराई और लेकर एक तरफ मुड़ गया, दुकानदार जाते जाते उसे रोक लेता है। कंफ्यूज हुई बेटी अपने बाप से पूछती है क्या हुआ ?? बाप परेशान हो जाता है और माफ़ी माँगने के लिए लब खोलता है। होंठ खोलते ही दुकानदार इतना कहता है “बेटी तेरा बाप बचा […]

साहित्यिक

ख़लील जिब्रान की एक लघुकथा: पागलख़ाना

पागलख़ाने के बाग़ में मैंने एक नौजवान को देखा जिसका ख़ूबसूरत चेहरा पीला पड़ता जा रहा था । जिस पर तहय्युर (हैरानी) की स्याही चढ़ी हुई थी । मैं उसके क़रीब जाकर बेंच पर बैठ गया और पूछा ……“तुम यहाँ कैसे ?” उसने हैरान होकर मेरी तरफ़ देखा और कहा ,“यहां गरचे आपका सवाल बेमानी […]

साहित्यिक

बुढ़िया की चक्की

किसी गांव में एक अम्मा ने अपनी खुंद पड़ी “आटा-चक्की” को खुंटवाने के लिए कारीगर को बुलाया.. “देख भाई जानता तो है ना..?ये रही चक्की, इसे ठीक कर दे..बस आज के खाने लायक दलिया बचा था वो चूल्हे पर चढ़ा दिया है..तू इसे ठीक कर..तब तक मैं कुएँ से मटकी भर कर लाती हूँ”…कारीगर बोला, […]

गोरखपुर साहित्यिक

जब गोरखपुर में अफगानों ने खदेड़ा मुगलिया सेना को

गोरखपुर के इतिहास का पन्ना गोरखपुर। सन् 1567 ई. में उजबेगों का पीछा करने के दौरान टोडरमल तथा फिदाई खां के नेतृत्व में मुगल सेना गोरखपुर तक आ पहुंचीं। धुरियापार के राजा ने आत्मसमर्पण किया। मझौली के राजा भीममल्ल ने भी मुगलों की आधीनता स्वीकार कर ली। मुगल सेना राप्ती नदी के सहारे गोरखपुर पहुंची। […]