साहित्यिक
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ख़लील जिब्रान की एक लघुकथा: पागलख़ाना
पागलख़ाने के बाग़ में मैंने एक नौजवान को देखा जिसका ख़ूबसूरत चेहरा पीला पड़ता जा रहा था । जिस पर…
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बुढ़िया की चक्की
किसी गांव में एक अम्मा ने अपनी खुंद पड़ी “आटा-चक्की” को खुंटवाने के लिए कारीगर को बुलाया.. “देख भाई जानता…
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जब गोरखपुर में अफगानों ने खदेड़ा मुगलिया सेना को
गोरखपुर के इतिहास का पन्ना गोरखपुर। सन् 1567 ई. में उजबेगों का पीछा करने के दौरान टोडरमल तथा फिदाई खां…
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