जीवन चरित्र

मुसलमानों के तीसरे खलीफा, दो नूर वाले सहाबी, अमीरूल मोमिनीन, दामादे नबी सैयदना उस्मान गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु

आपका नाम उस्मान और लकब गनी, जामे उल कुरआन (कुरआन पाक को जमा करने वाले) और जु़न्नूरैन (दो नूर वाले) वगैरह है। आप मुसलमानों के तीसरे खलीफा हैं। आप रदियल्लाहु तआला अन्हु के निकाह में एक के बाद एक नबी पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम की दो बेटियां रदियल्लाहु तआला अन्हुमा आई इसी […]

आज के दिन जीवन चरित्र

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम: एक विजनरी नेता और वैज्ञानिक

भारत के ‘मिसाइल मैन’ के नाम से मशहूर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज के दिन ही 15 अक्टूबर 1931 के दिन रामेश्वरम में यौम ए पैदाइश हुयी थी। उनका ताल्लुक एक बहुत ही साधारण परिवार से था। भारत के राष्ट्रपति पद पर रहते हुए भी वो जमीन से जुड़े रहे। डॉ. एपीजे […]

ऐतिहासिक जीवन चरित्र

हज़रत ख़्वाजा बख़्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह की वसीयत और सुल्तान शमसुद्दीन अल्तमस

हज़रत ख़्वाजा बख़्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह का जब इन्तेक़ाल हुआ तो उनकी नमाज़े जनाज़ा के लिए लोग इकठ्ठा हुए। भीड़ में ऐलान हुआ की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाने के लिए कुछ शर्तें हैं जिनकी वसीयत हज़रत ने की थी: (1) मेरी नमाज़े जनाज़ा वो शख़्स पढ़ायेगा जिसने कभी भी बग़ैर बुज़ू आसमान की तरफ़ न देखा […]

जीवन चरित्र

जान तो जाते ही जाएगी……क़यामत ये है के यहां मरने पे ठहरा है नज़ारा तेरा

देवबंद मकतबे फ़िक्र के आलिम कौसर नियाज़ी आला हज़रत इमामे अहले सुन्नत मुजद्दिदे दिनो मिल्लत अल हाफ़िज़, अल क़ारी, अश्शाह इमाम अहमद रज़ा ख़ान रहमतुल्लाह अलैहि की शान ब्यान करते हुवे कहते है की आप बयक वक़्त मुस्लिम भी है, मुबल्लिग़ भी है, मुफ़्ती भी है ,आलिम भी है, फ़ाज़िल भी है, मुअल्लिम भी है, […]

जीवन चरित्र

मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह “इब्ने बतूता”

अफ्रीका के मोरक्को देश में पैदा होने वाले मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह इब्ने बतूता का नाम अपने दौर के सबसे मशहूर मुसाफिरों में शुमार होता है। इब्ने बतूता ने तकरीबन 65,000 मील का सफर तय किया था। उस दौर में इतना लंबा सफर शायद ही किसी दूसरे मुसाफिर ने किया हो। वो सिर्फ 21 बरस की […]

जीवन चरित्र

क्रान्तिकारी मौलवी अहमदुल्ला शाह; जिन्हें अंग्रेज खुद कहा करते थे फौलादी शेर

यह फैजाबाद के क्रान्तिकारी अहमदुल्ला शाह हैं, जिनका नाम सुनकर अंग्रेज थर थर कापते थे उन्हें अंग्रेज खुद फौलादी शेर कहा करते थे।मौलवी को अंग्रेज कभी जिंदा नहीं पकड़ सके। उन्हें पकड़ने के लिए 50,000 चांदी के सिक्कों की कीमत घोषित की गई। जब मौलवी अंग्रेजी के खिलाफ़ मदद मांगने पुवायां के राजा जगन्नाथ सिंह […]