जीवन चरित्र

क्रान्तिकारी मौलवी अहमदुल्ला शाह; जिन्हें अंग्रेज खुद कहा करते थे फौलादी शेर

यह फैजाबाद के क्रान्तिकारी अहमदुल्ला शाह हैं, जिनका नाम सुनकर अंग्रेज थर थर कापते थे उन्हें अंग्रेज खुद फौलादी शेर कहा करते थे।
मौलवी को अंग्रेज कभी जिंदा नहीं पकड़ सके। उन्हें पकड़ने के लिए 50,000 चांदी के सिक्कों की कीमत घोषित की गई। जब मौलवी अंग्रेजी के खिलाफ़ मदद मांगने पुवायां के राजा जगन्नाथ सिंह के पास गए विश्वासघाती राजा के भाई बलदेव सिंह, ने गोली मारकर मौलवी की हत्या कर दी, उनका सिर काटकर अंग्रेजों को दे दिया, जिसके लिए राजा बलदेव सिंह को घोषित पुरस्कार दिया गया। अगले दिन कोतवाली के गेट पर मौलवी का सिर फाँसी पर लटका दिया गया ताकि कोई बगावत की हिम्मत न जुटा सके बाद में आज़ादी के मतवाले नौजबानो ने उनका कटा सिर उतारकर लोधीपुर कब्रिस्तान में दफन कर दिया।

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