गोरखपुर

दिलों पर राज करते हैं ख़्वाजा ग़रीब नवाज़: मुफ्ती अख़्तर

गोरखपुर। महान सूफी संत हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी अलैहिर्रहमां (ख़्वाजा ग़रीब नवाज़) के उर्स-ए-पाक की पूर्व संध्या पर सोमवार को चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में ग़ौसे आज़म फाउंडेशन की ओर से महफ़िल सजी। क़ुरआन ख़्वानी, नात ख़्वानी व कुल शरीफ की रस्म अदा की गई।

मुख्य वक्ता मुफ्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर) ने कहा कि हिन्दुस्तान के वलियों के सरदार ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ हैं। ग़रीब नवाज़ हिन्दल वली, हिन्द के बादशाह हैं। ग़रीब नवाज़ आज से कोई आठ सौ साल पहले सैकड़ों मील का कठिन सफ़र तय करते हुए अल्लाह व रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का पैग़ाम लिए जब ईरान से हिन्दुस्तान के अजमेर में पहुंचे तो जो भी आपके पास आया वह आपका होकर रह गया। आपके दर पर आने वालों में दीन-ओ-धर्म, अमीर-गरीब, बड़े-छोटे किसी भी तरह का भेदभाव नहीं है। सब पर आपके रहम-ओ-करम का नूर बरसता है। तब से लेकर आज तक राजा हो या रंक, हिन्दू हो या मुसलमान, जिसने भी आपकी चौखट चूमी वह खाली नहीं गया। ग़रीब नवाज के मिशन को आला हज़रत इमाम अहमद रजा खां अलैहिर्रहमां व उनके खानदान ने आगे बढ़ाया।

विशिष्ट वक्ता हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी ने कहा कि ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के नाम से लोगों के दिलों में बसने वाले महान सूफी मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का बुलंद दरवाजा इस बात का गवाह है कि सुल्तान मुहम्मद-बिन-तुगलक, सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी और मुगल बादशाह अकबर से लेकर बड़े से बड़ा हुक्मरान यहां पर पूरे अदब के साथ सिर झुकाए ही आया। वह दरवाजा इस बात का भी गवाह है कि ग़रीब नवाज़ आपसी प्यारो मोहब्बत की मुत्तहिदा हिन्दुस्तान में एक ऐसी मिसाल हैं जिनका कोई सानी नहीं है।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन, शांति, तरक्की व भाईचारगी की दुअा मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। महफ़िल में फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, जिला महासचिव हाफिज मो. अमन, मो. फ़ैज़, मो. इमरान, मो. वारिस अली वारसी, मो. ज़ैद, अमान अहमद, मो. ज़ैद चिंटू, मो. शारिक, समीउल्लाह, ज़ैद, रियाज़ अहमद, समीर अहमद, नूर मोहम्मद दानिश, सैफ हाशमी आदि ने शिरकत की।

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