गोरखपुर

मोहब्बत की जबान है उर्दू : चौधरी कैफुलवरा

  • तीन दिवसीय जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम का हुआ आगाज
  • उच्च कोटि के लेखक, शिक्षक व शायर थे डॉ. सलाम संदेलवी : डॉ. रिजवाना
  • डॉ. सलाम संदेलवी की पुस्तक ‘तारीखे अदबियाते गोरखपुर’ का हुआ विमोचन

गोरखपुर। साहित्य प्रेमी व समाजसेवी मो. हामिद अली की याद में तीन दिवसीय जश्न-ए-उर्दू कार्यक्रम का आगाज शनिवार को घासीकटरा स्थित मो. हामिद अली हाल में डॉ. सलाम संदेलवी की पुस्तक ‘तारीखे अदबियाते गोरखपुर’ के दूसरे अंक के विमोचन के साथ हुआ।साजिद अली मेमोरियल कमेटी के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उप्र उर्दू अकादमी के चेयरमैन चौधरी कैफुलवरा ने कहा कि यह उर्दू भाषा का ही जादू है कि तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद लोग इससे मोहब्बत कर रहे हैं।
चौधरी कैफुलवरा ने कहा कि आप देखिए कि स्कूलों में उर्दू शायरी और भाषा को कितनी तवज्जो दी जा रही है। बावजूद इसके आज के बच्चे सोशल मीडिया पर शायरी में खूब दिलचस्पी ले रहे हैं। आज भी जो उर्दू भाषा का रंग है, हुस्न है, मोहब्बत है, वह किसी साहित्यिक संस्था के कारण नहीं है, वह उर्दू की मिठास और स्वभाव के कारण है। दरअसल उर्दू मोहब्बत और अदब की जबान है। मेरा यकीन है कि यह हमेशा से ही दिल जोड़ने का काम करती आई है और करती रहेगी।
अध्यक्षता करते हुए पूर्व प्राचार्या डॉ. रिजवाना जमाल ने कहा कि डॉ. सलाम संदेलवी उच्च कोटि के लेखक, शिक्षक, शायर, कथाकार, प्रामाणिक शोधकर्ता, छंद एवं व्याकरण के विशेषज्ञ तथा शब्दकोष से परिचित थे। डॉ. दरख्शां ताजवर ने कहा कि डॉ. सलाम संदेलवी उर्दू साहित्यिक क्षितिज पर एक सितारे की तरह उभरे।कमेटी के सचिव महबूब सईद हारिस ने कहा कि उर्दू जबान और अदब की तारीख डॉ. सलाम संदेलवी के बिना अधूरी है। डॉ. सलाम संदेलवी जैसे बहुमुखी व्यक्तित्व का उदाहरण मिलना मुश्किल है।
संचालन मोहम्मद फर्रुख जमाल ने किया। कार्यक्रम में काजी तवस्सुल हुसैन, जफर अहमद खां, डॉ . कलीम कैसर, मिर्जा रफीउल्लाह बेग, डॉ. फरहतुल्लाह अब्बासी, जमीर अहमद पयाम, आसिफ सईद, मो. शारिक अली, डॉ. एहसान अहमद, तरन्नुम हसन, अनवर ज्या, हसन जमाल बबुआ भाई, मोहम्मद आजम समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

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