धार्मिक

ईद-उल-अज़हा का त्योहार 21 जुलाई को मनाया जायेगा

गोरखपुर। रविवार को इस्लामी माह ज़िलहिज्जा का चांद प्रदेश के कई जिलों में देखा गया। लिहाजा उलेमा-ए-अहले सुन्नत ने ऐलान किया कि ईद-उल-अज़हा (बक़रीद) का त्योहार 21 जुलाई बुधवार को अकीदत के साथ मनाया जायेगा। वहीं 21, 22 व 23 जुलाई तक लगातार तीन दिन क़ुर्बानी की जायेगी।

“क़ुरआन में है क़ुर्बानी करने का हुक्म – मुफ़्ती अख्तर

मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के मुफ़्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ़्ती-ए-शहर) ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में क़ुर्बानियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अजमत-ए-इस्लाम व मुस्लिम सिर्फ क़ुर्बानी में है। उसी में से एक ईद-उल-अज़हा त्योहार है, जो 21 जुलाई को मनाया जायेगा। अल्लाह का इरशाद है कि ‘ऐ महबूब अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ों और क़ुर्बानी करो। ईद-उल-अज़हा त्योहार एक अज़ीम बाप की अज़ीम बेटे की क़ुर्बानी के लिए याद किया जाता है। पैगंबर हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम व पैगंबर हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम से मंसूब एक वाकया इस त्योहार की बुनियाद है। क़ुर्बानी का जानवर जिब्ह करने के वक्त मुसलमानों की नियत होती है कि अल्लाह राज़ी हो जाए, यह भी नियत रहती हैं कि मैंने अपने अंदर की सारी बदअख्लाकी और बुराई सबकों मैने इसी क़ुर्बानी के साथ जिब्ह कर दिया और इसी वजह से दीन-ए-इस्लाम में ज्यादा से ज्यादा क़ुर्बानी का हुक्म किया गया है।”

“कुर्बानी से भाईचारगी बढ़ती है – मुफ़्ती अजहर

नायब काजी मुफ़्ती मो. अजहर शम्सी ने बताया कि क़ुर्बानी का अर्थ होता है कि जान व माल को अल्लाह की राह में खर्च करना। इससे अमीर, गरीब इन अय्याम में खास बराबर हो जाते है। क़ुर्बानी हमें दर्स देती है कि जिस तरह से भी हो सके अल्लाह की राह में खर्च करो। क़ुर्बानी से भाईचारगी बढ़ती है। हदीस में है कि क़ुर्बानी हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। जो इस उम्मत के लिए बरकरार रखी गयी है और पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम को इसका हुक्म दिया गया है। हदीस में इसके बेशुमार फजीलतें आयी है। हदीस में है कि जिसने खुश दिली व सवाब की नियत से क़ुर्बानी की तो वह जहन्नम की आग से बच जायेगा। हदीस में है कि जो रुपया ईद के दिन क़ुर्बानी में खर्च किया गया उससे ज्यादा कोई रुपया प्यारा नहीं।

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