गोरखपुर

रमज़ान अज़मत व बरकत वाला महीना, खूब करें इबादत، मौलवी चक बड़गो में महिलाओं का जलसा

गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान के मद्देनज़र बुधवार को नई कॉलोनी सफेदी बगिया मौलवी चक बड़गो में महिलाओं का जलसा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत काशिफा बानो ने की। नात-ए-पाक नौशीन फातिमा व इलमा नूर ने पेश की।

मुख्य वक्ता मदरसा क़ादरिया तजवीदुल क़ुरआन निस्वां अलहदादपुर की महजबीन सुल्तानी ने कहा कि अल्लाह का बहुत बड़ा एहसान कि उसने हमें माह-ए-रमजाऩ जैसी अज़ीमुश्शान नेमत से सरफ़राज़ फ़रमाया। रमज़ान में हर नेकी का सवाब 70 गुना या इससे भी ज़्यादा है। नफिल का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और फ़र्ज़ का सवाब 70 गुना कर दिया जाता है। फ़रिश्ते रोज़ेदारों की दुआ पर आमीन कहते हैं। अल्लाह तआला ने रमज़ान में क़ुरआन नाज़िल फ़रमाया। लिहाजा रमज़ान में नमाज़ व रोजा की पाबंदी करें। सदका व जकात अदा करें। कसरत से क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करें। दरूदो सलाम का नज़राना पेश करें। तरावीह की नमाज़ अदा करें। शबे कद्र में जागकर खूब इबादत करें। एतिकाफ करें। जरुरतमंदों की मदद करें। सभी के साथ भलाई से पेश आएं।

तकरीर करते हुए सीमा बानो ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने माहे शाबान के आख़िरी दिन बयान फ़रमाया ऐ लोगों तुम्हारे पास अज़मत वाला बरकत वाला महीना आया वो महीना जिसमें एक रात ऐसी भी है जो हज़ार महीनो से बेहतर है। रमज़ान के रोज़े अल्लाह ने फ़र्ज़ किए और इसकी रात में क़याम सुन्नत है। जो इसमें नेकी का काम करे तो ऐसा है जैसे और किसी महीने में फ़र्ज़ अदा किया और इसमें जिसने फ़र्ज़ अदा किया तो ऐसा है जैसे और दिनों में सत्तर फ़र्ज़ अदा किए। यह महीना सब्र का है और सब्र का सवाब जन्नत है। यह महीना ग़मख्वारी और भलाई का है। इसमें मोमिन का रिज़्क़ बढ़ाया जाता है। जो इसमें रोज़ेदार को इफ्तार कराए उसके गुनाहों के लिए मग़फिरत है।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन, तरक्की, भाईचारे व कोरोना वायरस से निज़ात की दुआ मांगी गई। जलसे में महीदुन निशा, सैरुन निशा, हाजिया खातून, आयशा खातून, शाहजहां खातून आदि मौजूद रहीं।

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