गोरखपुर

ईद मिलादुन्नबी जलसे में बयां की शब-ए-मेराज की फ़ज़ीलत

गोरखपुर। अहमदनगर चक्शा हुसैन में जुमेरात की रात ईद मिलादुन्नबी जलसा हुआ। संचालन हाफ़िज अज़ीम अहमद नूरी ने किया। कुरआन-ए-पाक की तिलावत से आगाज़ हुआ। नात-ए-पाक हाफ़िज मोहम्मद आरिफ ने पेश की।

हज़्ज़िन बीबी जामा मस्जिद धर्मशाला बाजार के इमाम मौलाना शम्सुद्दीन निज़ामी ने कहा कि अल्लाह ने दुनिया में कमोबेश सवा लाख पैगंबरों को भेजा, लेकिन शब-ए-मेराज में सिर्फ आख़िरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की ही अर्श-ए-आज़म से आगे ला मकां में अल्लाह से मुलाकात हुई। पैगंबर-ए-आज़म ने कई बार अल्लाह के दरबार में हाज़िरी दी, कलाम किया और अल्लाह के दीदार से सरफ़राज हुए। तोहफे में पचास वक्त की नमाज़ मिली जो बाद में अल्लाह ने पांच वक्त की कर दी। उन्होंने बताया कि इस बार शब-ए-मेराज 11 मार्च को है। मुसलमानों से अपील है कि इस रात खूब इबादत करें। रोजा रखें। अल्लाह व रसूल का शुक्र अदा करें। जरूरतमंदों की मदद करें। भूखों को खाना खिलाएं। नेक काम करें।

अकबरी जामा मस्जिद अहमदनगर के इमाम कारी आबिद अली निज़ामी ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर मेराज शरीफ की मुबारक रात में अहकाम-ए-खास नाज़िल हुए। अल्लाह ने पैगंबर-ए-आज़म को अज़ीम इज्जतो वकार से नवाज़ा। सात आसमानों की सैर कराई गई। जन्नत व दोजख दिखाई गई। तमाम अज़ीम पैगंबरों व फरिश्तों से पैगंबर-ए-आज़म की मुलाकात हुई।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो शांति की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। जलसे में मोहम्मद कैश, मुखिया, लियाकत हुसैन, तौफीक अहमद, निज़ामुद्दीन आदि मौजूद रहे।

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