कविता

तिरंगा

रहे शान से यह चमन ता क़यामतहै जैसे कि क़ायम गगन ता क़यामतवफा की निशानी मोहब्बत का सरगमहो बाकी ये गंग-व-जमन ता क़यामतभले जान मेरी जुदा जिस्म से होसलामत रहे यह वतन ता क़यामतहै बस आरज़ू यह तिरंगे का मुझकोहो मेरे नस्ल का कफ़न ता क़यामतअय अग्नि के वीरो वतन पर मारो तुमरहे मुल्क में […]

कविता

नग़म- ए- देश भक्ति

दुनिया तेरा आईना हिन्दोस्ताँकितना प्यारा है मेरा हिन्दोस्ताँ क्यूँ न हो यकता- ए- आलम हुस्न मेंतू तो है जन्नत नुमा हिन्दोस्ताँ काश लिख देता ख़ुदा ऐसा नसीबतुझ पे हो जाते फ़िदा हिन्दोस्ताँ इस जहाँ के इतने सारे मुल्कों मेंकौन है सानी तेरा हिन्दोस्ताँ किस क़दर शफ़्फ़ाफ़ है जाँ बख़्श हैतेरा पानी ओर हवा हिन्दोस्ताँ देखो […]

कविता

ग़ज़ल: मंज़ूर, दर्दे- इश्क़ का दिल पे असर तो हो

मंज़ूर, दर्दे- इश्क़ का दिल पे असर तो होलेकिन इलाज के लिए इक चारागर तो हो मरने का क्या है मैं अभी मर सकता हूँ, मगरकोई तो सोज़ ख़्वां हो कोई नोहा गर तो हो मैं तेरे दिल से कैसे निकल जाऊँ ये बतारहने को मेरे पास कोई और घर तो हो कर दूँगा अपने […]

कविता पाठकों के पत्र

आसिफ़ मक़सूद खान के जन्म दिन पर

शिवसेना के अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख आसिफ़ मक़सूद खान के जन्म दिन (24 अप्रैल) पर चंद अश’आर उनकी नज़र तेरे दर पे रहना मेरी आरजू हैसनम मेरे दिल की तू ही जुस्तजू है रगों में है शामिल तू बनके लहू यूँतेरी बात ही तो मेरी गुफ़्तगू है हैँ लाखों करोड़ों की नज़रें उन्हीं परसनम मेरा […]

कविता

सच का आईना दिखाती मुनव्वर राणा साहब की ग़ज़ल

अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा।सिर्फ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा।। ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो।अहले इमां हो तो शैतान से डरते क्यों हो।। तुम भी महफूज़ कहाँ अपने ठिकाने पे हो।बादे अखलाक तुम्ही लोग निशाने पे हो।। सारे ग़म सारे गिले शिकवे भुला के उठो।दुश्मनी जो भी […]

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सदाए बदर

यौमे बदर (बदर का दिन) 17 रमज़ानुलमुबारक अहले हक़ के लिए उम्मीदों और हौसलों का अज़ीम निशां सितम हो लाख मगर खौ़फ़ ओ यास थोड़ी हैभरोसा रब पे है दुनिया से आस थोड़ी है हम अहले हक़ को है “ला तक़नतू” का परवानाकहीं शिकश्ता दिली आस पास थोड़ी है डरेंगे वो जो फ़क़त नाम के […]

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नात-ए-पाक: भँवर में है फँसा मेरा सफीना पार हो जाए

काविश-ए-फिक्र: नासिर मनेरी मेरे सरकार मुझ पर भी करम इक बार हो जाएतड़पता हूँ पए दीदार अब दीदार हो जाए मिरे ऐ ना-खुदा कश्ती लगा दो पार अब मेरीभँवर में है फँसा मेरा सफीना पार हो जाए मुबारक अंदलीबो! तुम को तैबा के गुल-ओ-गुलशनमिरे हिस्से में बस तैबा का यारब ख़ार हो जाए सफर में […]

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कविता: जोंक

रोपनी जब करते हैं कर्षित किसान ;तब रक्त चूसते हैं जोंक!चूहे फसल नहीं चरतेफसल चरते हैंसाँड और नीलगाय…..चूहे तो बस संग्रह करते हैंगहरे गोदामीय बिल में!टिड्डे पत्तियों के साथपुरुषार्थ को चाट जाते हैंआपस में युद्ध करकाले कौए मक्का बाजरा बांट खाते हैं!प्यासी धूपपसीना पीती है खेत मेंजोंक की भाँति!अंत में अक्सर हीकर्ज के कच्चे खट्टे […]

कविता

टूटी फूटी डेमोक्रेसी

जहाँ सिर्फ़ नामों के बूते परलोगों को घेरा जाता होधर्म के आधार परसबको बाँटा जाता होजगह जगह पर नफ़रत कीसभाओं को सजाया जाता होजहाँ मिट्टी को भी किसीमासूम के ख़ून से रंगा जाता होसंप्रदायिकता की आग मेंहिंसा भड़काई जाती होजहाँ अदालतों के फ़ैसले भीएक तरफ़ा मालूम होते होंक़ानून के रखवाले भी दंगाईयोंके साथ खड़े नज़र […]

कविता

आज की रात है

मुहम्मद आसिम उल क़ादरी रिज़वी मुरादाबाद यूपी (इंडिया) भीनी भीनी हवा है सुहाना समारहमतों की अता आज की रात हैआज है जोश पर फ़ज़ले रब्बुल उलाबाबे जन्नत खुला आज की रात है आज नगमा सरा अर्श पर हूर हैंआसमा पर फरिश्ते भी मसरूर हैंहैं वो मेहरूम सजदो से जो दूर हैँबन्दगी का मज़ा आज की […]