कविता: रमज़ान जा रहा हैकवि: नासिर मनेरीसंस्थापक व अध्यक्ष: मनेरी फाउंडेशन, इंडिया ग़मगीन सब को कर के मेहमान जा रहा है।कर के उदास माह-ए-गुफरान जा रहा है।। मस्जिद की रौनकें भी अब खत्म हो रही हैं।सदमा हज़ार देकर रमज़ान जा रहा है।। रोजा नमाज़, सहरी, इफ्तारी व तरावीह।हमराह-ए-हर सआदत मेहमान जा रहा है।। रहमत थी, […]
धार्मिक
इस्लामी नया साल; खुद की समीक्षा का दिन
लेख: मोहम्मद शोऐब रज़ा निज़ामी फैज़ीप्र०अ०: मदरसा रज़विया ज़ियाउल उलूम, परसा ककरहीसंस्थापक व संपादक: हमारी आवाज़(वेब पोर्टल) गोला बाज़ार गोरखपुर मुहर्रम-अल-ह़राम का महीना जहां इस्लामिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, वहीं इस्लामिक कैलेंडर में नया साल भी मुहर्रम के चांद से शुरू होता है। चांद दिखना एक इस्लामिक साल के अंत और दूसरे साल […]