धार्मिक

क्यों ना मनाएं हम ईद मिलाद-ए-रसूल

12 रब्बी उल अव्वल पर तमाम उलेमा ए इस्लाम का इजमा है के इस दिन दो जहान के सुल्तान प्यारे आका मुहम्मद मुस्तफा ( सल्ललाहु अलैही वसल्लम ) सारे आलम के लिए रहमत बनकर दुनिया में तशरीफ़ लाए ! और इसी दिन सारी दुनिया में मुसलमान ( सिर्फ सुन्नी ) अपने नबी की विलादत का जशन मनाता है !

शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाहि अलैही ( 950 – 1052 हिजरी ) फरमाते है अपनी किताब में ( हवाला : मदारीज-उन-नबुवाह , जिल्द 2 , सफा न 14 )

जब सरकार ए दो जहाँ दुनिया में तशरीफ़ लाये तो सारे आलम ने खुशियां मनाई , सिर्फ इब्लीस के पेट में दर्द हुआ और आज भी होता है ! किसी को देखना है तो एक पोस्ट डालो हम ईद ए मिलाद मनाएंगे ! फिर देखो फ़ेसबुक के मुफ्तियाने किराम कैसे कैसे फतवे देते है.?
सबूत मांगेंगे कुरआन में कहाँ लिखा है.?
किस सहाबा ने मिलाद मनाया.? हदीस में कहाँ लिखा है.?? Etc etc

घबराओ मत मेरे सुन्नी भाइयो डंके की चोट पर इस पोस्ट को कॉपी कर के उनके मुँह पर जोरदार तमाचा मारो !
अब चलते है दलीलो की और देखते है हुजूर क्या फरमा रहे है.?
हुजूर के ज़माने में मस्जिद ए नबवी में मिलाद हुई इसमें खुद हुजूर ने अपनी विलादत के फज़ाइल बयान किए !
( हवाला : तिमिर्जी शरीफ , जिल्द 2 , सफा न 201 )

क़ुरान क्या फरमाता है देखते है ……
तर्जुमा :- तुम फरमाओ अल्लाह ही के फज़ल और उसी की रहमत और उसी पर चाहिए के ख़ुशी मनाओ !
( हवाला : कंजुल ईमान , सूरह – यूनुस , आयत न 58 )
और अल्लाह की रेहमत नबी ए करीम है, खुद नबी ए पाक ने अपने मिलाद पर अल्लाह का शुक्र बजा लाने की तलकीन फरमाई और तरग़ीब दी !
( हवाला : मुस्लिम शरीफ , जिल्द 2 , सफा न 819 , निस्साई शरीफ , जिल्द 2 , सफा न 147 , बहिकी शरीफ , जिल्द 4 , सफा न 286 )

अब देखते है सहाबा क्या कह रहे है.??
हम ( सहाबा ) सब अपने बच्चों समेत हुजूर के इस्तेगबाल के लिए विदा की घाटियों तक गए !
( हवाला : बुखारी शरीफ , जिल्द 1 , सफा न 543 )
यही जुलुस ए मिलाद है !

सहाबा और ताबेईन और दीगर अहले इस्लाम ने पीर के दिन का रोजा रख कर भी मिलाद मनाया !
( हवाला : अबु दावूद शरीफ , जिल्द 1 , सफा न 331 )

वहाबी, देवबंदी, और बाकि फिरको का ऐतराज़ है कि मिलाद मनना बिदअत है, हराम काम है…
देवबंदी उलेमा ” खलील अहमद अम्बेथ्वी ” चमार अपनी किताब ” बराहीनुल कतिअ ” में लिखता है….
हुजूर ( सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ) का मिलाद ( जन्मदिन, ईद ए मिलादुन्नबी ) मनाना कन्हैया ( हिंदुओ के भगवान् श्रीकृष्ण ) के जन्मदिन मनाने की तरह है, बल्कि उससे भी बदतर है ! ( माज़ल्लाह )
( हवाला : बराहीनुल कतिअ, सफा न 152 )

बाकि डॉ जाकिर नाइक के भक्त भी इसी विचारधारा के लोग है,
मैं तो यहाँ तक कहती हूं कि ये सब लोग इब्लीस के चेले है ! क्यों की नबी ए पाक की विलादत से इब्लीस भी खुश नही था और उसके चेले भी खुश नही है !

अब बोलो बे बद मजहब बद अक़ीदा वहाबी, देवबंदियों और दीगर बद मजहब लोगो, क्या ईद ए मिलाद मनाना हिंदुओ के भगवान किशन कनैया के जन्मदिन मनाने जैसा है.?? (माज़ल्लाह )

ऐ दीन से फिरे हुए लोगो नबी, सहाबा और वलियो में कमीया तुम निकालो, खिलाफ ए सुन्नत काम तुम करो और मुशरिक , बिदती, कबर पुजवा का लेबल हम पर लगावो !
ये कहाँ का इन्साफ हुआ.?

लिहाजा सभी सुन्नी मुसलमानों से गुजारिश है कि इन फ़ित्नों से बचो और हक़ का साथ दो ! दीन और दुनिया दोनों में कामयाब हो जाओगे !

समाचार अपडेट प्राप्त करने हेतु हमारा व्हाट्सएप्प ग्रूप ज्वाइन करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *