उम्म ए मुबारक फरमाती हैं :- हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम बहुत हसीन,सफेद, चमकता चेहरा,जैसे कलियों में एक ताजगी होती है। ,हुजूर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का रंग नई कलियों की तरह चमकता था, और उम्म ए मबारक फरमाती हैं। आप सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम ना इतने मोटे थे की नजरों में खटकें और ना ही इतने दुबले और कमजोर थे कि बे रअब हो जाएं आप वसीम व कसीम थे अरबी ज़बान में वसीम भी खूबसूरत को कहते हैं और कसीम भी खूबसूरत को कहते हैं वसीम वह खूबसूरत होता है जिसे जितना देखें उसका हुस्न उतना बढ़ता है यानी जिसे देखते हुए आंख ना भरे और कसीम उसे कहते हैं जिसका हर अज्व यानी बदन हिस्सा अलग-अलग हुस्न की ताबीर करता हो यानी जिस्म का हर हिस्सा हुस्न में कामिल और अकमल हो.
लेख: हाफिज़ महमूद रज़ा कादरी गोरखपुर
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