सामाजिक

लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता

महोदय
लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। केंद्र सरकार के इस फैसले से न सिर्फ लड़कियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं इससे माता पिता की चिंता भी बढ़ेगी। हमारे देश में लड़कियों को पराया धन माना जाता है और माता पिता को चिंता होती है कि वयस्क होते ही उनके हाथ पीले करना है । विवाह के लिए योवनारंभ की उम्र तक पहुंचने के बाद भी प्रतिबंध न सिर्फ समाज में दुर्व्यवहार को बढ़ाएगा ‌। इसके विपरीत ऐसा क़ानून आबादी को अवैध रूप से शादी करने के लिए मजबूर करेगा । जब एक लड़की १८ साल की उम्र में यह महसूस करती है कि वह सरकार बनाने के लिए अपना वोट दे सकती है, तो वह अपने जीवन का फैसला क्यों नहीं कर सकती है। बेहतर होगा कि सरकार वह शादी की उम्र बढ़ाने के बजाय लड़कियों की शिक्षा और सुविधाओं को बढ़ाने पर विचार करे, शिक्षा का बेहतर प्रबंधन करे और लड़कियों के खिलाफ अपराधों पर अंकुश लगाने की कोशिश करना चाहिए। अगर सरकार जबरदस्ती कानून के जरिए लोगों पर थोपने की कोशिश करेगी, तो इसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
साजिद महमूद शेख, मीरा रोड ठाणे

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