धार्मिक

अल्लाह व रसूल का फ़रमान और आज का मुसलमान (क़िस्त 3)

लेखक: अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी
मुरादाबाद यू पी, इंडिया

हदीस शरीफ़
हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: चन्द मख़्सूस लोगों के अमल की वजह से अल्लाह तआला सब लोगों को अज़ाब नहीं करेगा, मगर जबके वहां बुरी बात की जाए और लोग मना करने पर क़ादिर हों और मना ना करें तो अब आम व ख़ास सबको अज़ाब होगा (शरहे सुन्नह)

हदीस शरीफ
बनी इसराइल ने जब गुनाह किए, उनके उल्मा ने मना किया मगर वो बाज़ ना आए फिर उल्मा उनकी मजलिसों में बैठने लगे और उनके साथ खाने पीने लगे तो अल्लाह तआला ने उल्मा के दिल भी उन्हीं जैसे कर दिए, और हज़राते सय्यिदुना दाऊद, व ईसा अलैहिमुस्सलाम की ज़बान से उनपर लानत की, ये इस वजह से के उन्होंने ना फ़रमानी की और हद से तजावुज़ करते थे, इसके बाद ग़म ख़्वारे उम्मत हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया
अल्लाह की क़सम तुम या तो अच्छी बात का हुक्म करोगे और बुरी बात से रोकोगे और ज़ालिम के हाथ पकड़ लोगे, और उनको हक़ पर रोकोगे और हक़ पर ठहराओगे, या अल्लाह तआला तुम सबके दिल एक तरह के कर देगा, फिर तुम सब पर लानत कर देगा जिस तरह उन सब पर लानत की (अबू दाऊद)

प्यारे मुसलमानों आज दुनिया में मुसलमानों की जो हालत है वो किसी से छुपी हुई नहीं, हर तरफ़ बे अमली का दौर दौरा है और कोई किसी को टोकने वाला नज़र नहीं आता और मुसलमान अमली तौर पर गुमराही के गढ़े की तरफ़ तेज़ी से गिरता चला जा रहा है, ख़ुदारा अपने आप पर रहम करो और हुज़ूर अलैहिस्सलाम के वफ़ादार बन जाओ, खुद को और अपने अज़ीज़ और अक़ारिबों को गुनाहों से बचाओ वरना ख़सारा ही ख़सारा है|

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