हदीस शरीफ़:
हाकिम ने कअब इब्ने अजरह रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से रिवायत की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
सब लोग मिम्बर के पास हाज़िर हों हम हाज़िर हुए जब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मिम्बर के पहले दर्जा पर चढ़े कहा आमीन दूसरे पर चढ़े कहा आमीन तीसरे पर चढ़े कहा आमीन जब. मिम्बर से तशरीफ़ लाये हमने अर्ज़ की आज हमने हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से ऐसी बात सुनी के कभी न सुनते थे। फ़रमाया जिब्रील ने आकर अर्ज़ की वो शख़्स दूर हो जिसने रमज़ान पाया और अपनी मगफ़िरत न कराई मैंने कहा आमीन। जब दूसरे दर्ज़े पर चढ़ा तो कहा वो शख़्स दूर हो जिसके
पास मेरा ज़िक्र हो और मुझ पर दुरूद न भेजे। मेंने कहा आमीन। जब में तीसरे दर्ज़े पर चढ़ा कहा
वो शख़्स दूर हो जिसके मां-बाप दोनों या एक को बुढ़ापा आये और उनकी खिदमत करके जन्नत
में न जाये मैंने कहा आमीन। इसी के मिस्ल अबू हुरैरह व हसन बिन मालिक बिन हुवैरस रज़िअल्लाहु तआला अन्हुम से इब्ने हब्बान ने रिवायत की।
📚 बहारे शरिअत, उर्दू हिस्सा,5, सफ़ह 97 & बहारे शरीअत, हिंदी हिस्सा,5 सफ़ह,71-72)
हदीस शरीफ़:
अस्बहानी ने अबू हुरैरह रज़िअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जब रमज़ान की पहली रात होती है अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल अपनी मखलूक़ की तरफ़ नजरें रहमत फरमाता है और जब अल्लाह किसी बन्दे की तरफ नज़रे रहमत फरमाये तो उसे कभी अज़ाब न देगा और हर रोज़ दस लाख को जहन्नम से आज़ाद फ़रमाता है और जब उन्तीसवी रात होती है तो महीने भर जितने आज़ाद किये उनके मजमुए के बराबर इस एक रात में आज़ाद करता है। फिर जब ईदुल फित्र की रात आती है मलाइका (फरिश्ते) खुशी करते है और अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल अपने नूर की खास तजल्ली फरमाता है फरिश्तों से फरमाता है ऐ गिरोहे मलाइका उस मजदूर का क्या बदला है जिसने काम पूरा कर लिया। फरिश्ते अर्ज़ करते हैं उसको पूरा अज़्र दिया जाये। अल्लाह अज़्ज़ा व जल्ल फरमाता है में तुम्हें गवाह करता हूँ के मैने उन सब को बख्स दिया।
📚 बहारे शरिअत उर्दू हिस्सा 5, सफ़ह 97–98 & बहारे शरीअत हिंदी, हिस्सा,5 सफ़ह,72)
हदीस शरीफ़:
इब्ने खुज़ैमा ने अबू मसऊद गफ़्फ़ारी रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से एक तवील (बड़ी) हदीस रिवायत की उसमें ये भी है के हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अगर
बन्दों को मालूम होता के रमज़ान क्या चीज़ है तो मेरी उम्मत तमन्ना करती के पूरा साल रमज़ान ही हो।
हदीस शरीफ़:
बज़्ज़ार व इब्ने खुज़ैमा व इब्ने हब्बान अम्र इब्ने मुर्रा जोहनी रज़िअल्लाहु तआला अन्ह से रावी हैं कि एक शख़्स ने अर्ज़ की.या रसूलल्लाह फरमाईये तो अगर में इसकी गवाही दूं के
अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल
हैं और पाँचों नमाज़ें पढ़ूं और ज़कात अदा करूँ और रमज़ान के रोज़े रखूं और उसकी रातों का
कियाम करूं (नमाज़ पढ़ूं) तो मैं किन लोगों में से होऊँगा। फ़रमाया सिद्दीक़ीन और शोहदा में से।
📚 बहारे शरिअत उर्दू हिस्सा 5 सफ़ह 98 & बहारे शरीअत, हिंदी हिस्सा,5 सफ़ह,-72)
लेखक: मुफ़्ती मुहम्मद ज़ुल्फ़ुक़ार ख़ान नईमी
अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी, मुरादाबाद यूपी इंडिया