धार्मिक

रमज़ान के फज़ाइल व मसाइल (1)

हदीस::- इब्ने माजा हजरते अनस रयिल्लाहु तआला अन्हु से रावी कहते हैं हजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: यह महीना आया इसमें एक रात हजार महीनों से बेहतर है ! जो इससे महरूम रहा हर चीज से महरूम रहा और इसकी खैर से वही महरूम जो पूरा महरूम है !

हदीस::- बैहकी शोअबुल ईमान में इब्ने अब्बास रदियल्लाहु तआला अन्हुमा से रावी जब रमजान का महीना आता रसूलुल्लाह सल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम कैदियों को रिहा फरमा देते और साइल को अता फरमाते !

हदीस::- बैहकी शोअबुल ईमान में इने उमर रयिल्लाहु तआला अन्हुमा से रावी कि नबी सल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जन्नत इब्तिदाए साल यअनी शुरू साल से साले आइन्दा(आने वाले साल) तक रमजान के लिए आरास्ता की जाती है(सजाई जाती है) जब रमजान का पहला दिन आता है तो जन्नत के पत्तों से अर्श के नीचे एक हवा हूरों पर चलती है वह कहती हैं ऐ रब! तू अपने बन्दों से हमारे लिए उनको शौहर बना जिन से हमारी आँखें ठण्डी हों और उनकी आँखें हम से ठण्डी हों !

हदीस::- इमाम अहमद अबू हुरैरा रदियल्लाहु तआला अन्हु से रावी कि हुजूरे अकदस सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं रमज़ान की आखिर शब में उम्मत की मगफिरत होता है ! अर्ज की गयी क्या वह शबे कद्र है ? फरमाया: नहीं, लेकिन काम करने वाले को उस वक्त मजदूरी पूरी दी जाती है जब वह काम पूरा कर ले !
(बहारे शरीअत हिस्सा,5 सफ़ह,68)

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