धार्मिक

पेट के बल लेटना कैसा?

हमारी आवाज़ (डेस्क) 10 जनवरी

रिवायत है हज़रत अबू हुरैरा से फरमाते कि नबी करीम صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم ने एक शख्स को अपने पेट पर लेटा देखा तो फरमाया कि ये वो लेटना है जिसे अल्लाह पसंद नहीं फरमाता।
(ترمذی)
यानी औंधे लेटने को अल्लाह पाक पसंद नहीं करता बल्कि उससे नाराज़ है कि इस तरह सोने से गफलत पैदा होती है, इस सोने मे सीना और चेहरा जो अशरफ आज़ा (हिस्सा) हैं ज़मीन पर रगड़ता है सर तो सजदा ही में ज़मीन पर रखा जावे ना किसी और के सामने ना सोते में, सूफिया फरमाते हैं कि सोना चार किस्म का है : पुश्त (पीठ) पर सोना यानी चित ये सोना अहले इब्रत का है, दाहिनी करवट पर सोना ये अहले इबादत का सोना है, बाएं करवट पर सोना ये अहले इस्त्राहत का सोना है, पेट के बल सोना ये सोना अहले गफलत का है।
(اشعہ)
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रिवायत है हज़रत अबू ज़र से फरमाते हैं मुझ पर नबी करीम صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم गुज़रे जबकि मैं अपने पेट पर लेटा हुआ था¹ तो मुझे अपने पाओं (पैर) से ठोकर मारी और फरमाया ऐ जुंदुब ये आग वालों का लेटना है²।
(ابن ماجہ)
(1) इस तरह कि मेरा पेट ज़मीन से लगा हुआ था और दोनों पाओं (पैर) फैले हुए थे जिसे कहते हैं औंधे लेटना।
(2) इस फरमान के दो मतलब हो सकते हैं : एक ये कि जहन्नमी लोग यानी कुफ्फार दुनिया में ऐसे लेटते हैं तुम उनसे मुशाहबत ना करो, दूसरे ये कि दोज़ख़ में कुफ्फार ऐसे लिटाए जाया करेंगे उनकी पीठ पर कोड़े मारने के लिए।

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