लेखक: मह़मूद रज़ा क़ादरी, चिश्तिया मस्जिद गोरखपुर
जिस तरह बालिग मर्द पर नमाज फ़र्ज़ है इसी तरह बालिग औरत पर भी नमाज़ फ़र्ज़ है हैज़ (Menses)और नफास की हालत में औरतों को नमाज पढ़ना हराम है इन दिनों में औरतों को नमाज माफ है और इन दिनों की नमाज की कजा़ भी नहीं
(बहारे शरीयत, ही, 2,स, 89)
मर्द और औरतों के नमाज पढ़ने के तरीका में फर्क है और फर्क नीचे दिए गए तहरीर उसे मालूम करें मर्द और औरत की नमाज़ का फर्क आसानी से समझ लेंगे ।
मर्द के लिए क्या हुक्म है ।
तकबीरे तहरीमा :-
1:- अपनी हथेलियाँ आसतीन (कपड़े) से बाहर रखे
2:- अपने दोनों हाथ कान तक उठाए –
कयाम (खड़ा होना)
1:- नाफ के निचे हाथ बांधे
2:- दाएं हाथ की हथेली बाएं हाथ की जोड़ पर रखे छंगुलीयां और अंगुठा कलाई के अगल बगल में रखे और बीच की उंगलियों को बाएं हाथ की कलाई की पीठ पर बीछा दे
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रूकु यानी झुकना
1:- पूरा झुके इस तरह की पीठ खूब बिछाए कि अगर पानी का प्याला भर कर पीठ पर रख दिया जाए तो ठहर जाए
2:- अपना सर पीठ के बराबर में रखे ना नीचे झुका है और ऊंचा
3:-उठाए
4:-हाथ पर टेक लगाए यानी वजन दे घुटनों को हाथ से पकड़े
5:- घुटनों पर हाथ रखकर उंगलियां खूब खुली हुई फैला कर रखें
6:- अपनी टांगे ना झुकाए बल्कि बिल्कुल सीधी रखें
सजदा यानी सर को ज़मीन पर रखना
1:- फैलकर और कुशादह होकर सजदा करे
2:- बाज़ू को करवट से, पेट को रान से, रान को पिंडली से अलग रखे
3:- कलाईयां और केहुनीयां ज़मीन पर न बिछाए बल्कि हथेली ज़मीन पर रखकर कलाईयां और केहुनीयां उपर को उठाए
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
जलसा यानी कअदा (बैठना)
1:-अपना बायां कदम बिछाकर उस पर बैठे और दाया कदम इस तरह खड़ा रखे कि तमाम उंगलियां किबला की तरफ हों
2:- अपनी हथेलियां रान पर रखे और उंगलियां अपनी हालत पर छोड़ दें यानि उंगलियां ना फैलाएं रखें और ना मिली हुई रखें।
आगे से गुजरने वाले को खबर करना
नमाज़ पढ़ रहा है और कोई शख्स आगे से गुज़रे तो सुबह अल्लाह कहकर गुज़रने वाले को खबर करे ।
नमाज़ ए फजर
नमाज़ में असफार तक ताखीर करना मुसतहब है। यानी इतना उजाला हो जाए कि ज़मीन रौशन हो जाए और आदमी एक दुसरे को आसानी से पहचान ले
नमाज़ जुमा व ईदैन
मर्द पर जुमा फर्ज है और ईदैन की नमाज़ वाजिब है।
इंशा अल्लाह अगले पोस्ट औरत के बारे में बताया जाएगा।