लेखक: मो सैफुल मलिक
जैसे ही फ़रवरी (Feburary) का महीना शुरू होता है इस महीने में एक ऐसा तूफान ए बदतमीज़ी उठता है (For Example: Rose Day , Kiss Day , Valentine Day etc) जिसमें हमारी कौम के नौजवान लड़के और लड़कियां बिना किसी झिझक के शामिल हो जाते हैं, एक कलमा पढ़ने वाले मुसलमान की और एक सच्चे आशिक़ ए रसूलﷺ की ये शान नहीं है कि वो यहूद ओ नसारा के बनाये हुए किसी डे को मनाये, इसलिए आप मग़रिबी तहज़ीब के जाल और उनकी गुलामी से अपने आपको महफूज़ कर अपनी आने वाली नस्लों की पाकीज़गी का सबब बनिये
ख़ासतौर से इसमें School, College & Universities के स्टूडेंट्स (Students) और इंटेलेक्चुअल (Ittelectual) तबक़ा शामिल होता हैं ये सारे डेज़ (Days) आपको आपके रसूलﷺ के निज़ाम से दूर और ज़हनी तौर पर गुलाम बनाने के लिए और आपके मुआश्रे (Society) को अखलाक़ी , जानी और माली तौर पर कमज़ोर करने के लिए लॉन्च (Launch) किए जाते हैं और इससे भी कहीं बढ़कर ये हरकतें जो आपके ईमान और अक़ीदे को कमज़ोर करने के लिए होती हैं और आपको बुराइयों के अंधेरों में डाल देने के लिए ये साजिशें की जाती हैं ताकि आपको रूहानी तौर पर भी कमज़ोर किया जा सके, लिहाज़ा मग़रिबी तहज़ीब (Western Culture) को ठुकरा अपने रसूलﷺ की सुन्नतों को अपनाने को कोशिश करें…..हम अपने रसूलﷺ का कलमा पढ़ने वाले मुसलमान हैं हमारी मंज़िल मग़रिबी तहज़ीब नहीं निज़ाम ए मुस्तफाﷺ है।
वो अंधेरे ही भले थे की क़दम राह पर थे
रौशनी ले आई है मंज़िल से बहुत दूर हमें