इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना ‘मुहर्रम’ है
बुधवार से लगेगी 1443 हिजरी
गोरखपुर। मौसम साफ न होने की वजह से ‘माह-ए-मुहर्रम’ का चांद सोमवार को नहीं दिखा। आसपास के जिलों से भी चांद देखे जाने की कोई सूचना नहीं मिली।
तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत की चांद कमेटी के मुफ़्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही (काजी-ए-शहर), मुफ़्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी (मुफ़्ती-ए-शहर) व मुफ़्ती मो. अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने ऐलान किया है कि बुधवार 11 अगस्त से ‘माह-ए-मुहर्रम’ का आगाज़ होगा। मुहर्रम की 10वीं तारीख़ (यौमे आशूरा) शुक्रवार 20 अगस्त को पड़ेगी। उलेमा-ए-किराम ने सभी से गाइडलाइन का पालन करने की अपील की है।
बताते चलें कि इस्लामी कैलेंडर यानी हिजरी वर्ष का पहला महीना ‘मुहर्रम’ है। बुधवार से 1443 हिजरी शुरु हो जायेगी। मुहर्रम की पहली तारीख़ को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु की शहादत हुई। इस माह को इस्लामी इतिहास की सबसे दुखद घटना के लिए भी याद किया जाता है। इसी महीने की 10वीं तारीख़ को यजीद नाम के ज़ालिम बादशाह ने पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के नवासे हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व उनके 72 साथियों को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था।
शहर की प्रमुख मस्जिदों व घरों में ‘जिक्रे शहीद-ए-कर्बला’ की महफिल-मजलिस पहली मुहर्रम से शुरु होगी। जिसका सिलसिला 10वीं मुहर्रम तक जारी रहेगा। इस बार मुहर्रम में किसी भी तरह का जुलूस नहीं निकाला जायेगा।