नई दिल्ली: 16 मार्च// शीया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी की क़ुरान-ए-पाक से 26 आयतों को हटाने की मांग के ख़िलाफ़ पासबाने वतन फ़ाउंडेशन आफ़ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद आज़म हशमती ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाख़िल की है।और सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि इस मलऊन के अर्ज़ी को ख़ारिज किया जाये।मौलाना मुहम्मद आज़म हशमती ने कहा है कि क़ुरान-ए-पाक की तौहीन को किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।क्योंकि यह ऐसी किताब है जिसमें एक ज़ेर ज़बर की तबदीली नामुमकिन है।और पूरी दुनिया के मुस्लमान इस पर अक़ीदा रखते हैं।
उन्होंने कहा कि वसीम रिज़वी ऐसा शख़्स है जो बार-बार इस्लाम और मुस्लमानों पर हमला करता रहता है।लेकिन इस बार वो हद पार कर गया है। उसने एक तरफ़ जहां क़ुरआन को मआज़- अल्लाह दहश्तगर्दी का दरस देने वाला बताकर क़ुरआन मुक़द्दस में तहरीफ़ की अपील की है जहां उसने इस्लाम को ज़ोरज़बर्दस्ती की बुनियाद पर फैलने वाला मज़हब कहा वहीं उसने खल़िफ़ा-ए-राशिदीन की शान अक़्दस पर ज़बरदस्त हमला करके दो फ़िर्क़ों के दरमयान नफ़रत फैलाने की नापाक साज़िश की है
मौलाना ने कहा कि ऐसे इन्सान को खुली हवा में सांस लेने का कोई हक़ नहीं है। वसीम रिज़वी को फ़ौरी तौर पर गिरफ़्तार किया जाये। ताकि मुल्क का अमन-ओ-शांति क़ायम रह सके।इस बद-बख़्त के बयान से आज पूरी उम्मत बेचैन है। और सख्त ग़म व ग़ुस्सा में है। इस लिए इस पर मुलक दुश्मन क़वानीन के तहत मुक़द्दमा दायर किया जाये। ताकि ये अपने नापाक मन्सूबों में कामयाब ना हो सके।
मौलाना मुहम्मद आज़म हशमती ने कहा कि क़ुरान-ए-पाक की आयात की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी ख़ुद अल्लाह ताला ने ली है।जिसका मुहाफ़िज़ ख़ुद ख़ुदा हो उसे कौन मिटा सकता है। क़ुरान-ए-पाक को मिटाने वाले ख़ुद मिट गए हैं। और क़ुरान-ए-पाक क़ियामत तक इसी तरह ज़मीन पर बाक़ी रहेगी। और लोग उस के अहकामात पर अमल करते रहेंगे।
मौलाना ने कहा कि जो भी इन्सान क़ुरान-ए-पाक के बारे में ऐसी सोच रखे वो मुस्लमान नहीं हो सकता है। और वसीम रिज़वी का एतराज़ पूरी तरह से बे-बुनियाद है। इस का कहना है कि क़ुरआन दहश्तगर्दी की तालीमात देता है। लेकिन क़ुरान-ए-पाक में कहीं पर भी इस तरह की तालीम नहीं है। बल्कि क़ुरआन इन्सानियत की दरस देता है। क़ुरआन ने कहीं पर भी हुक्म नहीं दिया है कि दुनिया में दहश्त फैलाई जाये।उन्होंने कहा कि वसीम रिज़वी ने क़ुरआन-ए-करीम की मुक़द्दस आयात पर उंगली उठाकर सिर्फ मुस्लमानों से नहीं बल्कि ख़ालिक़ दो-जहाँ से ऐलान जंग किया है।उन्होंने कहा कि मुस्लमान हर चीज़ बर्दाश्त करसकता है मगर अल्लाह,उस की किताब और उस के रसूल के ख़िलाफ़ एक लफ़्ज़ बर्दाश्त नहीं कर सकता है।