गोरखपुर। अहमदनगर चक्शा हुसैन में ईद मिलादुन्नबी जलसा हुआ। सदारत हाफिज मो. शम्सुद्दीन ने की। संचालन हाफिज अज़ीम अहमद नूरी ने किया। कुरआन-ए-पाक से जलसे का आगाज हुआ। पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की शान में नात-ए-पाक पेश की गई।
मुख्य वक्ता मुफ्ती मो. अजहर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम व पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बताए रास्ते पर हम सभी को चलना चाहिए। दीन-ए-इस्लाम ने तालीम पर खास तवज्जो दी है। इसका सबूत भी हमें कुरआन-ए-पाक में मिलता है। कुरआन-ए-पाक और हदीस-ए-पाक इल्म का ख़ज़ाना है। जिसमें इंसान के हर सवाल और मुश्किलों का जवाब मौजूद है। इसमें रहनुमाई, हिकमत, इंसानियत, अमन, भाईचारा व नेकी आदि का पैगाम है। कुरआन-ए-पाक व हदीस-ए-पाक मुकम्मल दस्तूर-ए-हयात है इसलिए मुसलमानों को कुरआन-ए-पाक और हदीस-ए-पाक की रोशनी में दीन-ए-इस्लाम की राह पर चलना होगा, तभी मुसलमान आगे बढ़ सकता है।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। जलसे में हाफिज मो. जमालुद्दीन निज़ामी, मौलामा गुलाम हुसैन कादरी, हाफिज नूर अहमद, मो. दानिश, शादाब अहमद, मो. फैजान, दारैन हैदर, आसिफ जावेद, शाबान अली आदि मौजूद रहे।