4 जुलाई 1187 को हत्तीन की जंग में क्रूसेडर्स को बुरी तरह से हराने के बाद सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने छोटे-छोटे इलाकों को फ़तेह करते हुए यरुशलम की ओर आगे बढ़ते हुए 20 सितम्बर को यरुशलम शहर को घेर लिया। उस समय शहर सुल्तान के जीते हुए इलाकों से भागे हुए रिफ्यूजीस से भरा हुआ था और शहर में 14 से भी कम सलेबी नाइट्स और कुछ सिपाही ही मौजूद थे।
क्योंकि यरुशलम के ज्यादातर सिपाही हत्तीन की जंग में मारे जा चुके थे। और यरुशलम का बादशाह गी ऑफ़ लूजिगनन सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी का कैदी बन गया था। अब शहर का कमांडर बेलियन ही अपने बचे हुए सिपाहियों की फौज को लीड कर रहा था। बेलियन ने सलाहुद्दीन अय्यूबी की फौज को 2 अक्टूबर तक शहर से बाहर रोके रखा। 2 अक्टूबर को बेलियन ने भी सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी के सामने हथियार डाल दिए। और यूँ सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने यरुशलम शहर को फतह कर लिया। इसके बाद पोप ने तीसरी सलीबी जंग का नारा दे कर ईसाइयों को एकजुट किया। लेकिन फिर भी सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी से वो दोबारा शहर को हासिल नहीं कर सके।