क़ानूनन रात दस बजे के बाद लाउडस्पीकर बजाना मना है लेकिन जनता और शासन प्रशासन के आपसी तालमेल से देश में रात रात भर लाउडस्पीकर हर जगह बजता है
पता करें कि बड़ी चौपड़ पर होने वाले मुशायरा में जनता और शासन प्रशासन का तालमेल क्यों नहीं बैठा या मुशायरा आयोजित करने वालों में तालमेल बिठाने की क्षमता ही नहीं थी?
मुझे याद है कि मैं एक बहुत बड़े जलसे में मौजूद था। जलसा में लाउडस्पीकर बहुत ही शानदार बज रहा था। रात क़रीब बारह बजे पुलिस वालों ने आकर बंद करवा दिया। मैं स्टेज से उठा और पुलिस प्रशासन को एक कोने में ले गया और लगभग दस बारह मिनट उनसे बात करने के बाद लाउडस्पीकर फिर से बजने लगा। तालमेल तो बिठाना ही पड़ता है क्योंकि क़ानून तो सबके लिए बराबर है
मौलाना मोहम्मद सैफुल्लाह ख़ां अस्दक़ी
चेयरमैन: ग़ौसे आज़म फाउंडेशन