लेखक: अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी
मुरादाबाद यू पी, इंडिया
हदीस शरीफ़
सरकार ए कायनात हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:
अल्लाह तआला ने फ़िरिश्ते को हुक्म दिया के फ़ुलां शहर को ज़ेर व ज़बर (उलट पलट) करदो फ़िरिश्ते ने अर्ज़ की के ऐ रब्बे कायनात फ़ुलां शख़्स जिसने कभी एक लम्हा के लिए भी गुनाह नहीं किया है इस शहर में मौजूद है,
अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया:
के जाओ और ऐसा ही करो के उस शख़्स ने कभी दूसरों के गुनाहों पर नागवारी का इज़हार नहीं किया (कीमिया ए सआदत)
जो लोग ख़ुद तो नमाज़ी परहेज़गार हैं मगर गुमराह लोगों को गुमराही से नहीं रोकते उनकी इस्लाह नहीं करते वो इस हदीस शरीफ़ से सबक़ हासिल करें)
हदीस शरीफ़
हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:
ऐसी जगह मत बैठो जहां किसी को ज़ुल्म से क़त्ल किया जाए या ज़ुल्म से मारा जाए के ऐसी जगह लअनत बरसती है उस शख़्स पर जो इस हाल को देखे और मना ना करे (कीमिया ए सआदत)
हदीस शरीफ़
हज़रत सय्यिदुना अबू उमामह रज़िअल्लाहू तआला अन्ह फ़रमाते हैं के
इस उम्मत में से बअज़ लोग क़ियामत के दिन बन्दर और ख़िन्ज़ीर (सुवर) की शकल में उठेंगे क्योंके वो ना फ़रमानों से मेल जोल रखते हैं और उनको रोकते नहीं, हालांके वो उन्हें रोकने की क़ुदरत रखते हैं,
इस रिवायत को नक़ल करने के बाद हज़रत अब्दुल वहाब शअरानी रहमातुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं
में कहता हूं जब नाफ़रमानों से मेल जोल करने वालों का ये हाल हो हालांके वो ख़ुद ग़ाफ़िल नहीं हैं तो उन लोगों का क्या हाल होगा जिनके आज़अ (हाथ पैर, मुंह शर्मगाह) गुनाहों से नहीं रुकते,
हम अल्लाह तआला से उसकी मेहरबानी तलब करते हैं (तम्बीहुल मुग़्तर्रीन)
हज़रत फ़क़ीह अबुल्लैस समरकंदी रहमातुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं:
हज़रत सय्यिदुना हसन बसरी रज़िअल्लाहू तआला अन्ह हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम का इरशाद नक़ल करते हैं कि
जिस शख़्स ने अपने दीन की हिफ़ाज़त की ग़रज़ से एक इलाक़ा से दूसरे इलाक़ा हिजरत की ख़्वाह एक बालिश्त ही सफ़र किया हो तो उसने जन्नत अपने लिए लाज़िम करली और वो हज़रते सय्यिदुना इब्राहीम ख़लीलुल्लाह अला नबीय्यिना व अलैहिस्सलातू वस्सलाम और हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि के साथ होगा, क्योंके हज़रते सय्यिदुना इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने भी इराक़ से मुल्के शाम की तरफ़ हिजरत की थी जैसा के क़ुरआन मजीद में इरशादे बारी तआला हुआ
(तर्जमा)— और इब्राहीम ने कहा में अपने रब की तरफ़ हिजरत करता हूं बेशक वोही इज़्ज़त व हिक्मत वाला है (पारा 20)
और इरशाद फ़रमाया:
(तर्जमा)— में अपने रब की तरफ़ जाने वाला हूं अब वो मुझे राह देगा (पारा 23, रुकू 7)
यानी अपने रब की इताअत और रज़ा की ख़ातिर जाने वाला हूं,
हज़रत फ़क़ीह अबुल्लैस समरकंदी रहमातुल्लाह अलैह फ़रमाते हैं:
सरकार ए कायनात हुज़ूर सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम ने मक्का मुकर्रमा से मदीना तय्यबा की तरफ़ हिजरत फ़रमाई थी तो जो शख़्स ऐसी जगह में हो जहां गुनाह होते हैं और वहां से अल्लाह तआला की रज़ा के लिए निकल आया तो उसने हज़रते सय्यिदुना इब्राहीम ख़लीलुल्लाह अलैहिस्सलाम और हुज़ूर सय्यदे आलम सल्लल्लाहू तआला अलैहि वसल्लम की सुन्नत पर अमल किया, लिहाज़ा जन्नत में इन मुक़द्दस हस्तियों का पड़ोस नसीब होगा(तम्बीहुल ग़ाफ़िलीन)
गुनाहों की जगह से हिजरत करने वाले की फ़ज़ीलत अल्लाह तबारक व तआला ने क़ुरआन मजीद में यूं इरशाद फ़रमाया:
(तर्जमा)— और जो अपने घर से निकला अल्लाह व रसूलल्लाह की तरफ़ हिजरत करता फिर उसे मौत ने आ’लिया तो उसका सवाब अल्लाह के ज़िम्मा पर हो गया और अल्लाह बख़्शने वाला मेहरबान है (पारा 5, रुकू 11)
जो लोग यह कहते हैं कि अरे साहब हम कहां जाएं क्या करें हमारे आस-पास में तो सब वहाबी देवबंदी अहले हदीस शिआ राफ़ज़ी ख़ारजी वग़ैरह फ़िर्क़ाहाए बातिला ही रहते हैं हमें तो उनसे मेल-जोल रखना ही पड़ेगा दुनिया दारी तो निभानी ही पड़ेगी, ऐसे लोगों का बरोज़े क़यामत कोई बहाना नहीं चलेगा क्योंकि हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने हिजरत करके बता दिया कि जहां कहीं किसी को अपने जान माल ईमान आबरू का ख़तरा हो वह मेरी सुन्नत पर अमल करे, यानी हिजरत करे,
इन्शा अल्लाहुर्रहमान पोस्ट जारी रहेगी..……..