बाराबंकी

सामाजिक बदलाव के दौर में संस्कृति रक्षा सबसे उपयुक्त ग्रंथ! मनाई गई गोस्वामी तुलसीदास जयंती व अवधी दिवस उत्सव

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बाराबंकी :(अबू शहमा अंसारी) अवध भारती संस्थान की ओर से शुक्रवार को गोस्वामी तुलसीदास जयंती एवं अवधी दिवस उत्सव राजकीय इंटर कालेज के कंप्यूटर हाल में मनाया गया। मुख्य अतिथि एमएलसी अंगद कुमार सिंह रहे। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने अपने जीवन की आपदा में अवसर खोजा। गृहस्थ जीवन से निकलकर एक नया रूप धारण कर उन्होंने रामचरित मानस की रचना की। ऐसी कठोर साधना के बाद सांस्कृतिक ग्रंथ समाज को मिल पाया है। उन्होंने कहा कि हर रोज एक बार परिवार के साथ घर में सामूहिक भोजन जरूर करें। तुलसी जयंती एवं अवधी दिवस उत्सव की अध्यक्षता करते हुए डा. श्याम सुंदर दीक्षित ने रामचरित मानस को सामाजिक बदलाव के दौर में संस्कृति रक्षा की दृष्टि से सबसे उपयुक्त ग्रंथ बताया। उत्सव अवधी अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष प्रदीप सारंग के संचालन में कवि अम्बरीष अंबर की वाणी वंदना से आरंभ हुआ। डा. विनय दास, अजय सिंह गुरु, रायबरेली से पधारे तुलसीदास साहित्य विशेषज्ञ कृष्ण कुमार अवस्थी, डा. बृज किशोर पांडेय ने तुलसी साहित्य के विभिन्न आयामों पर चर्चा की। अवधी अध्ययन केंद्र उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित अवधी निबंध प्रतियोगिता श्रृंखला अंतर्गत राजकीय इंटर कालेज के विजेता प्रतिभागियों प्रथम अतुल कुमार, द्वितीय मंगल प्रसाद, तृतीय राजन पटेल को पुरस्कृत किया गया। अवधी उन्नयन के लिए जिले के सात साहित्य मनीषियों को सम्मानित किया गया। इसमें अजय सिंह गुरु, डा. विनयदास, डा. अम्बरीश अंबर, अजय प्रधान, प्रदीप महाजन, नागेंद्र सिंह, भगवानदास वर्मा, रत्नेश कुमार शामिल हैं। प्राचार्य राधेश्याम धीमान ने सभी का स्वागत किया। डा. राम बहादुर मिश्रा अध्यक्ष अवध भारती संस्थान के निर्देशन में सम्पन्न आयोजन में डा. राम सुरेश वर्मा, डा. बलराम वर्मा तथा डा. कुमार पुष्पेंद्र ने तुलसी साहित्य से संबंधित शोध-पत्र वाचन किया। आयोजन में आंखें फाउंडेशन व राहुल ग्रामोद्यौगिक प्रशिक्षण समिति का विशेष योगदान रहा। इस मौके पर राम प्रताप वर्मा, अवधेश वर्मा, सुभाष वर्मा, विशंभर नाथ अवस्थी, विष्णु कुमार शर्मा, शिव कुमार व्यास, रजनी श्रीवास्तव, इकबाल राही, मूसां खां अशांत, शिव कुमार व्यास, ड. दिनेश सिंह, रजत बहादुर वर्मा, सनत कुमार अनाड़ी, साहब नारायण शर्मा, डा. रामफेर यादव, डा. विनोद गौतम, सदानन्द, सूरज सिंह गौर आदि मौजूद रहे।

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