- इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है मुहर्रम
- रविवार से लगेगी 1444 हिजरी
गोरखपुर। दरगाह हज़रत मुबारक ख़ां शहीद नार्मल स्थित तंज़ीम उलमा-ए-अहले सुन्नत की चांद कमेटी के मुफ्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही (काजी-ए-शहर), मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी (नायब काजी), मुफ्ती मुनव्वर रज़ा, मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी, कारी अफ़ज़ल बरकाती आदि ने ऐलान किया है कि माहे मुहर्रम का चांद शुक्रवार को नहीं दिखा। लिहाजा रविवार 31 जुलाई से माहे मुहर्रम का आगाज होगा। मुहर्रम की दसवीं तारीख़ यानी यौमे आशूरा मंगलवार 9 अगस्त को पड़ेगी। इस्लामी कैलेंडर यानी हिजरी वर्ष का पहला महीना मुहर्रम है। रविवार से 1444 हिजरी शुरू हो जाएगी।
उलमा किराम ने सभी के लिए दुआ की है कि नया इस्लामी साल सभी की ज़िंदगी में खैरो बरकत लाए। मुसलमानों से अपील भी की है कि खूब अल्लाह की इबादत करें। रोज़ा रखें। हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व शोह-दाए-कर्बला की याद में कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी करें। खूब इसाले सवाब करें। नेक काम करें। अमनो अमान कायम रखें।
पहली मुहर्रम (24 हिजरी) को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु की शहादत हुई। इसी महीने की दसवीं तारीख को यजीद नाम के एक जालिम बादशाह ने पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व उनके साथियों को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था। प्रमुख मस्जिदों व घरों में ‘जिक्रे शोह-दाए-कर्बला’ महफिल व मजलिस पहली मुहर्रम से शुरू होगी। जिसका सिलसिला दसवीं मुहर्रम तक जारी रहेगा। मियां बाज़ार स्थित इमामबाड़ा इस्टेट से 5, 9 व 10 मुहर्रम को रवायती शाही जुलूस निकलेगा। मेला लगेगा। शहर के विभिन्न मोहल्लों से चौथीं मुहर्रम से दसवीं मुहर्रम तक रात-दिन जुलूसों का सिलसिला जारी रहेगा। शहर में ताजिया व राशन चौकी बनाने के काम में तेजी आ गई है।