गोरखपुर। गुरुवार को दावते इस्लामी इंडिया की ओर से काजी जी की मस्जिद इस्माइलपुर में आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर्रहमां की याद में संगोष्ठी (इज्तिमा) हुई। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत कारी मोहसिन अत्तारी ने की। नात व मनकबत नफीस अत्तारी ने पेश की।
मुख्य वक्ता हाजी आजम अत्तारी ने कहा कि आला हज़रत ने पूरी ज़िन्दगी अल्लाह व रसूल की इताअत व फरमाबरदारी में गुजारी। आला हज़रत पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर जानो दिल से फ़िदा व क़ुर्बान थे। आला हज़रत ने तेरह साल की उम्र से ही फतवा लिखना और लोगों को दीन-ए-इस्लाम का सही पैग़ाम पहुंचाना शुरू कर दिया। पूरी उम्र दीन की खिदमत में गुजारी। आला हज़रत द्वारा किया गया क़ुरआन-ए-पाक का उर्दू में तर्जुमा ‘कंजुल ईमान’ व ‘फतावा रज़विया’ बेमिसाल है। पैग़ंबरे इस्लाम से सच्ची मोहब्बत आला हज़रत का सबसे अज़ीम सरमाया था। आपकी एक मशहूर किताब जिसका नाम ‘अद्दौलतुल मक्किया’ है। जिसको आपने केवल आठ घंटों में बिना किसी संदर्भ ग्रंथ के मदद से हरम-ए-मक्का में लिखा। आज पूरी दुनिया में आला हज़रत का चर्चा है। आला हज़रत को अल्लाह व पैग़ंबरे इस्लाम से सच्ची मोहब्बत और गहरा इश्क था। जिसको आपने ‘हदाइके बख्शिश’ में हम्द, नात व मनकब के जरिए बयान किया है।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। संगोष्ठी में आरिफ रजा, फरहान अत्तारी, शहजाद अत्तारी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।