मख़्सूस जानवर को मख़्सूस दिन में ब नियते तक़र्रुब ज़िबाह करना कुर्बानी है और कभी उस जानवर को भी अज़्हियह और कुर्बानी कहते हैं जो ज़िबह किया जाता है।
कुर्बानी हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है जो इस उम्मत के लिए बाक़ी रखी गई और नबी ए करीम सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम को कुर्बानी करने का हुक्म दिया गया।
रब तआला ने इरशाद फ़रमाया:
فصل لربك وانحر
तर्जमा:
अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ो और क़ुर्बानी करो। (क़ुरआन मजीद)
इसके मुताल्लिक़ पहले चंद अहादीस ज़िक्र की जाती हैं फिर फ़िक़्ही मसाइल बयान होंगे।
हदीस शरीफ़
उम्मुल मोमिनीन आयशा सिद्दीक़ा रज़िअल्लाहू तआला अन्हा से रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया के योमुन्नहर
यानी 10 दसवीं ज़िल हज्ज मैं इब्ने आदम का कोई अमल ख़ुदा के नज़दीक खून बहाने (यानी क़ुर्बानी करने) से ज़्यादा प्यारा नहीं और वो जानवर क़ियामत के दिन अपने सींग और बाल और खुरों के साथ आएगा और कुर्बानी का खून ज़मीन पर गिरने से क़ब्ल (पहले) ख़ुदा के नज़दीक मक़ामे क़ुबूल मैं पहुंच जाता है लिहाज़ा इसको खुश दिली से करो। (अबू दाऊद, तिर्मिज़ी, इब्ने माजा)
हदीस शरीफ़
हज़रत इमाम हसन बिन अली रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा से रावी के हुज़ूर ने फ़रमाया:
जिसने खुशी दिल से तालिबे सवाब होकर क़ुर्बानी की वो आतिशे जहन्नम से हिजाब (यानी रोक) हो जाएगी। (तिब्रानी)
हदीस शरीफ़
इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहू तआला अन्हुमा रावी के हुज़ूर ने इरशाद फ़रमाया:
जो रुपया ईद के दिन क़ुर्बानी में खर्च किया गया उससे ज़्यादा कोई रुपया प्यारा नहीं। (तिब्रानी, बहारे शरीअत, हिस्सा 15)
(हदीस शरीफ़
हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
जिसमें वुसअत हो और क़ुर्बानी ना करे वो हमारी ईदगाह के क़रीब ना आए। (इब्ने माजा)
हदीस शरीफ़
इब्ने माजा ने ज़ैद बिन अरक़म रज़िअल्लाहू तआला अन्ह से रिवायत की कि
सहाबा ने अर्ज़ की या रसुलल्लाह ये क़ुर्बानियां क्या हैं
फ़रमाया के तुम्हारे बाप इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है, लोगों ने अर्ज़ की या रसुलल्लाह हमारे लिए इसमें क्या सवाब है
फ़रमाया हर बाल के मुक़ाबिल नेकी है अर्ज़ की ऊन का क्या हुक्म है फ़रमाया ऊन के हर बाल के बदले में नेकी है। (इब्ने माजा)
हदीस शरीफ़
हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
सबसे पहले जो काम आज हम करेंगे वो ये है के नमाज़ पढ़ेंगे फिर उस के बाद कुर्बानी करेंगे जिसने ऐसा किया उसने हमारी सुन्नत (यानी तरीक़ा) को पा लिया और जिसने पहले ज़िबह कर लिया वो गोश्त है जो उसने पहले से अपने घर वालों के लिए तैयार कर लिया कुर्बानी से उसे कुछ ताल्लुक नहीं अबू बुर्दा रज़िअल्लाहू तआला अन्ह खड़े हुए और ये पहले ही ज़िबह कर चुके थे इस खयाल से के पड़ोस के लोग ग़रीब थे उन्होंने चाहा के उनको गोश्त मिल जाए और अर्ज़ की या रसूलल्लाह मेरे पास बकरी का 6 माहा एक बच्चा है फ़रमाया तुम उसे ज़िबह कर लो और तुम्हारे सिवा किसी के लिए 6 माहा बच्चा किफ़ायत नहीं करेगा। (बुख़ारी शरीफ़)
हदीस शरीफ़
हुज़ूर ए अक़दस सल्लल्लाहू तआला अलैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि
आज (यानी ईद) के दिन जो काम हम को पहले करना है वो नमाज़ है उसके बाद कुर्बानी करना है जिसने ऐसा किया वो हमारी सुन्नत को पहुंचा और जिसने पहले ज़िबह कर डाला व गोश्त है जो उसने अपने घर वालों के लिए पहले ही से कर लिया निस्क यानी कुर्बानी से उसको कुछ ताल्लुक नहीं। (इमाम अहमद, बहारे शरीअत, हिस्सा 15)
लेख: अब्दुल्लाह रज़वी क़ादरी
मुरादाबाद यू पी, इंडिया,