गोरखपुर

घर-घर क़ुरआन का तर्जुमा ‘कंजुल ईमान’ पहुंचाने की मुहीम शुरू

गोरखपुर। मुकद्दस रमज़ान में क़ुरआन-ए-पाक नाज़िल हुआ। क़ुआन-ए-पाक का पढ़ना, देखना, छूना, सुनना सब इबादत में शामिल है। क़ुरआन-ए-पाक पूरी दुनिया के लिए हिदायत है। हमें क़ुरआन-ए-पाक में बयान किए गए वसूलों के मुताबिक ज़िदंगी गुजारनी चाहिए। क़ुरआन-ए-पाक का उक्त पैग़ाम मुस्लिम घरों में पहुंचाने के लिए ‘तंजीम कारवाने अहले सुन्नत’ ने मुहीम शुरू की है। जिसके तहत क़ुरआन-ए-पाक का उर्दू, अंग्रेजी व हिंदी तर्जुमा (अनुवाद) ‘कंजुल ईमान’ घरों में पहुंचाया जा रहा है। करीब 150 घरों के लिए क़ुरआन-ए-पाक का उर्दू, अंग्रेजी व हिंदी तर्जुमा (अनुवाद) मंगवा लिया गया है। यह तर्जुमा अवाम की इमदाद से घरों में पहुंचाया जा रहा है। पूरे रमज़ान यह मुहीम जारी रहेगी।

मुहीम के अगुवाई मुफ्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर), मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी (नायब क़ाज़ी), मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी, हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी, हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी व कारी मोहम्मद अनस रज़वी कर रहे हैं। मुहीम में अवाम का भरपूर सहयोग मिल रहा है।

मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने बताया कि क़ुरआन-ए-पाक पढ़ने के साथ उसका तर्जुमा व तफसीर जानना भी हमारे लिए जरूरी है। जब हम क़ुरआन का तर्जुमा पढ़ेंगे तभी हम अल्लाह तआला के पैग़ाम को समझ पायेंगे।

कारी मो. अनस रज़वी ने बताया कि आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा ख़ां अलैहिर्रहमां ने क़ुरआन-ए-पाक का उर्दू में लाजवाब तर्जुमा ‘कंजुल ईमान’ किया है। जिसे पढ़ने से ईमान ताजा हो जाता है। आला हज़रत का तर्जुमा पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा छपता और पढ़ा जाता है। आला हज़रत ने दीन-ए-इस्लाम को ‘कंजुल ईमान’ (ईमान का खज़ाना) के रूप में एक अहम तोहफा अता किया है।

मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि आला हज़रत द्वारा किए गए ‘कंजुल ईमान’ से हमें पता चलता है कि यही अकेला ऐसा तर्जुमा (अनुवाद) है जो गलतियों से पाक है।’कंजुल ईमान’ में वह सारी खूबियां मिलती हैं जो अल्लाह पाक और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और औलिया किराम की शाने अजमत के इजहार के लिए होनी चाहिए।

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