नेकियाँ बटोरने का महीना रमज़ानुल मुबारक़
लेखक: जावेद शाह खजराना
दोस्तों आप और हम नसीब वाले है कि अल्लाह तआला ने हमें रमज़ानुल मुबारक़ का महीना फिर नसीब फ़रमाया। हमें और आपको इबादत करके नेकियाँ बटोरने का फिर मौका एक बार और दिया है । लिहाजा जी भरके नेकियाँ बटोरे और जन्नत का टिकिट कंफर्म करें क्योंकि जन्नत नेकियों से ही मिलती है और नेकियाँ इबादत और ख़िदमत करने से।
दोस्तों कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से हमने पिछले 2 साल जैसे- तैसे रमज़ान की इबादतें की है। बहुत से लोगों को तरावीह और मस्जिदों में नमाज तक नसीब नहीं हुई। नेकियाँ बटोरने से पिछले 2 साल से लगभग हम महरूम ही रहे। इस साल अल्लाह हमें और आपको रोजे नमाज और दीगर फ़रायज़ को अंजाम देने वाला सच्चा मोमिन बना दे।
रमज़ान के रोजे को लेकर रब्बुल आलमीन कुरान की दूसरी आयत सूरह अल बकरा में साफ तौर पर फ़रमाता है कि – ‘रोजा तुम पर उसी तरह से फर्ज किया जाता है जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था।’
प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद स0अ0व0 के हिजरत करने के एक साल के बाद मदीना में मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया। इस तरह से दूसरी हिजरी में रोजा रखने की शुरुआत इस्लाम में हुई।
दोस्तों रोज़ा सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं है।
बल्कि रोजे का मकसद तक्वा है , परहेजगारी है ताकि अल्लाह का डर और अल्लाह का खौफ हमारे अंदर आ जाए। जैसा कि आप सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने फरमाया कि – ‘जिसने रोज़े की हालत में भी झूठ बोलना और उस पर अमल करना नहीं छोड़ा उसके भूखे-प्यासे रहने की अल्लाह को कोई जरूरत नहीं है।
लिहाज़ा दोस्तों रोजे की हालत् में जितना हो सके इबादत करें। झूठ , गीबत और बुरे अमाल से बचे।
नमाज पढ़े , क़ुरआन की तिलावत करें , हैसियत के मुताबिक जकात और फितरा करें। जरूरतमंदों की खिदमत करे।
अगर मुमकिन हो तो रोजा भी खुलवाए। अपने पास की मस्जिद में इमाम और मोअज्जिन को मग़रिब से पहले इफ्तारी भेजना ना भूले। तक़वा-परहेजगारी कायम रखे।
रमज़ान तो नेकीयों का ऐसा महीना है की अल्लाह इस महीने के सदके में नेकीयों को बढ़ाकर 70 गुना कर देता है। अल्लाह अपनी रहमतों के दरवाजे खोल देता है। जितना हो सके बटोर लो कोई लिमिट नहीं।
सुभान अल्लाह
दोस्तों सोचिए जब नेकीयों का ये आलम है तो बेशक गुनाहों की सजा भी कम नहीं हो सकती । गुनाहों का कफ्फारा भी 70 गुना अदा करना पड़ेगा। इसलिए रमज़ान शर्फ़ में बदकारी से बचे।
अपने वालिद-वालदा, पड़ोसी , भाई-बहन , रिश्तेदार और दोस्त एहबाब से अच्छे सुलूक से पेश आए। किसी का माल ना दबाएं क्योंकि अल्लाह तआला जुल्म और नाइंसाफी पसंद नहीं करता।
अल्लाह को राजी करने का हमें एक मौका और मिला है इसलिए दोस्तों बिना वक्त गंवाएं नेकियाँ बटोरने में लग जाए।
हजरत अबु हुरैरा रजि0 ने कहा कि रसूले करीम अलैहिस्सलातु वस्सलाम ने फरमाया की –
‘जब रमज़ान का महीना शुरू होता है तो आसमान के दरवाजे खोल दिए जाते हैं।’
दूसरी रिवायत में है कि जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और शैतान जंजीरों में जकड़ दिए जाते हैं।
बुखारी और मुस्लिम शरीफ में भी लिखा है
‘रहमत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं।’
सुभान अल्लाह!!!
दोस्तों अल्लाह की रहमतों से मायूस ना होइए।
इस मुबारक़ महीने में जब अल्लाह रहमत के दरवाजे खोल देता है और अपनी रहमतों का दरिया बहा देता है तो क्या हम इस मुबारक़ महिने में रोजे , नमाज और नेकीयों से कैसे जी चुरा सकते है।
आज से रमज़ान का मुबारक़ महीना शुरू हो रहा है
अल्लाह तआला मुझे और आपको लिखने-पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक आता फ़रमाए। आमीन