धार्मिक

अल्लाह कौन है ?कैसा है?

जैसा कि पिछली पोस्ट में स्पष्ट हुआ कि समस्त मानव जाति और इस पूरे संसार के रचयिता एवं स्वामी परमेश्वर को ही अरबी भाषा मे अल्लाह नाम से पुकारा जाता है।

अब आगे वह अल्लाह कौन है? कैसा है ?
इसका बहुत ही सरल और साफ मार्गदर्शन खुद अल्लाह ने क़ुरान में कर दिया ताकि कोई भी इन सवालों के बारे में अज्ञानता में ना रहे । और उसे अल्लाह के बारे मे बिल्कुल स्पष्ठ और सीधी मालूमात रहे ।

फरमाया क़ुरान में सुरः इखलास आयात 1-4

कुल हुवल लाहू अहद, अल्लाहुस समद, लम यलिद वलम यूलद, वलम यकूल लहू कुफुवन अहद

अर्थ :कहो वो अल्लाह (ईश्वर) एक है।
अल्लाह बरहक़ बेनियाज़ है।
न उसने किसी को जना न उसको किसी ने जना।
और उसका कोई हमसर (समकक्ष) नहीं।

“समद” यानी कि बरहक़ बेनियाज़ का मतलब होता है कि अल्लाह को किसी काम को अंजाम देने में किसी शरीक व मदद गार की ज़रुरत नहीं वो बेनियाज़ और अपने आप में काफी है। सभी उसपर निर्भर हैं पर वो किसी पर किसी बात के लिए निर्भर नही।

ना किसी को जना, ना जना गया मतलब ना उसकी कोई औलाद है ना वह किसी की । और ना कोई उसके हमसर है। यानी कि कोई उसके हमकक्ष या बराबर नही । उस जैसा कोई नही है और ना ही किसी से उसकी तुलना की जा सकती है ।

क़ुरान में अल्लाह की सिफ़तों (गुणों) के बारे में और भी कई आयते हैं। लेकिन विष्व में ईश्वर के बारे में इतनी सही, सटीक और छोटी परिभाषा नही है।

इस पूरे संसार का करता धर्ता ,पालनहार एवं रचियता ईश्वर जो उक्त परिभाषा पर सही उतरता है उसे ही मुसलमान अल्लाह नाम से पुकारते हैं ।और उसकी इबादत करते हैं ।

अगर कोई भी उस सच्चे ईश्वर जो की उक्त परिभाषा के अनुसार है को मानता है। फिर चाहे वो उसे किसी और नाम से ही क्यों ना पुकारे वह अल्लाह को ही पुकार रहा है।

जैसा कि फरमाया क़ुरान में

“तुम अल्लाह को पुकारो या रहमान को पुकारो या जिस नाम से भी पुकारो, उसके लिए सब अच्छे ही नाम है।” (क़ुरान 17:110)

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