मदीना मस्जिद व सब्जपोश हाउस मस्जिद में मनाया गया हाफ़िज़े मिल्लत का उर्स-ए-पाक
गोरखपुर। रेती चौक स्थित मदीना मस्जिद व जाफ़रा बाज़ार स्थित सब्जपोश हाउस मस्जिद में बुधवार को दीनी तालीम के लिए एशिया में अलग पहचान रखने वाली अरबी यूनिवर्सिटी अलजामियतुल अशरफिया मुबारकपुर के संस्थापक हाफ़िज़े मिल्लत हज़रत अल्लामा शाह अब्दुल अज़ीज़ अलैहिर्रहमां का उर्स-ए-पाक अदबो एहतराम के साथ मनाया गया। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात व मनकबत पेश की गई।
मदीना मस्जिद के इमाम मुफ़्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि हाफ़िज़े मिल्लत 20वीं सदी की अज़ीम शख़्सियत थे। उन्होंने तालीम व तरबीयत के मैदान में बड़ा कारनामा अंज़ाम दिया। आप पूरे तौर पर शरीअत के आमिल थे। लोगों को शरीअत समझाने वाले थे और अमल कराने वाले भी थे। अपनी पूरी ज़िंदगी अल्लाह, रसूल और इंसानों की सेवा में गुजार कर दीन और दुनिया दोनों में अपना नाम रौशन कर लिया। आपका पैग़ाम था कि ” ज़मीन के ऊपर काम, ज़मीन के नीचे आराम” यानी जब तक इंसान ज़िंदा रहे दीन, मुल्क व इंसानियत की सेवा कर नेक अमल करता रहे ताकि मौत के बाद कब्र में चैन व सुकून हासिल हो सके।
सब्जपोश हाउस मस्जिद में हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी व कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि हाफ़िज़े मिल्लत ने कौम की दीनी और दुनियावी रहनुमाई की। मदरसा मिस्बाहुल उलूम को अरबी यूनिवर्सिटी अलजामियतुल अशरफिया का रूप दिया। आपने इत्तेहाद व इत्तेफाक का संदेश दिया, ताकि पूरी दुनिया में इत्तेहाद व इत्तेफाक का माहौल बने और अमन शांति कायम हो सके।
अंत में कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। सलातो-सलाम पढ़कर कौमो मिल्लत की भलाई व मुल्क में अमनो सलामती की दुआ मांगी गई। शीरीनी तक्सीम हुई। उर्स में क़ासिद रज़ा इस्माईली, अली हसन निजामी, ओबैद रज़ा जीलानी, तनवीर उल हसन, हाफ़िज़ अलकमा, अफ़रोज़ क़ादरी आदि ने शिरकत की।