गोरखपुर। मोहल्ला पचपेड़वा गोरखनाथ में बुधवार देर रात जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी जलसा हुआ। क़ुरआन शरीफ़ की तिलावत कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने की। नात शरीफ़ मौलाना निज़ामुद्दीन नूरी व मौलाना शाबान ने पढ़ी। संचालन हाफ़िज़ अज़ीम अहमद ने किया।
सदारत करते हुए मौलाना इम्तियाज़ अहमद व मौलाना तफज़्ज़ुल हुसैन रज़वी ने कहा दीन-ए-इस्लाम एक मात्र ऐसा दीन है जिसमें अमीरों के माल में गरीबों को हक़ दिया गया। एक पड़ोसी को दूसरे पड़ोसी पर हक़ प्रदान किया गया है। दीन-ए-इस्लाम ने मानवता के हर एक कर्तव्य का एक बेहतरीन नज़रिया दिया है। महिलाओं, यतीमों, गुलामें को दीन-ए-इस्लाम के सदके में हक़ मिला।
मुख्य वक्ता मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम जब 23 वर्ष के संघर्षपूर्ण जीवन के बाद व्यवहारिक रूप से इस्लामी समाज की स्थापना करके 63 वर्ष की आयु में अल्लाह से मिलने जाने लगे, तो आपने सहयोगियों से कहा – “मैं तुम्हारे बीच दो चीजें छोड़े जा रहा हूं, पहली अल्लाह की किताब ‘क़ुरआन’ और दूसरी, अपने कार्य और अपनी शिक्षाएं अर्थात अपनी ‘सुन्नत’। अगर तुम इन दोनों को सख़्ती से पकड़े रहोगे तो कभी गुमराह नहीं होगे।” क़ुरआन व सुन्नत दीन व दुनिया में कामयाबी की ज़मानत है।

उन्होंने कहा कि नबी-ए-पाक की उक्त दोनों चीजें हमारे पास पूर्णत: प्रमाणिक रूप से सुरक्षित हैं। आइए, हम आज के मुसलमानों को न देखें, बल्कि कु़रआन और सुन्नत को देखें और फिर अपने से सवाल करें कि क्या इसमें हमारे लिए कोई मार्गदर्शन है। यकीनन रहनुमाई है, तो इसको जानें, समझें और अगर दिल गवाही दे कि यही एक सच्चाई है, तो बिना किसी भेदभाव और संकोच के इसे अपना लें।
हरसेवकपुर व गोला बाज़ार में भी जलसा हुआ

वहीं हरसेवकपुर व गोला बाज़ार में भी जलसा हुआ। जिसमें मौलाना शकील अख़्तर निज़ामी, मौलाना सेराज अहमद व मौलाना शेर मोहम्मद अमजदी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम तरक्की पसंद दीन है। नबी-ए-पाक, उनके सहाबा, अहले बैत व औलिया हमारे आदर्श हैं और उन्हीं के रास्ते पर चलकर हमें कामयाबी मिलेगी। नबी-ए-पाक ने जिस समाज का गठन किया वह वर्ग-संघर्ष से मुक्त, सहनशीलता, पारस्परिक सम्मान, सहानुभूति और सहयोग का समाज था। किसी भी समाज के विकास के लिए ये अनिवार्य तत्व हैं। अगर हम आगे बढ़ना चाहते हैं, प्रगति करना चाहते हैं, तो हमें इन आदर्शों को अपनाना होगा और इन शिक्षाओं का अनुकरण करना होगा।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान व तरक्की की दुआ मांगी गई। जलसे में अशहर मुबारकपुरी, डॉ. हाशिम अली क़ादरी, मोहम्मद अहमद निज़ामी, मौलाना इमरान अमजदी, मौलाना इकबाल मिस्बाही, हाफ़िज़ अमीर आलम, हाफ़िज़ इम्तियाज़ एडवोकेट, कारी गुलाम मुस्तफा, हाफ़िज़ साबिर, हाफ़िज़ सद्दाम, हाफ़िज़ शफीक, हाफ़िज़ महताब, हाफ़िज़ समीर, हाफ़िज़ नईमुद्दीन, हाफ़िज़ मोहम्मद अज़ीम, मो. रफीक, लाडले, मो. नसीम, मो. शम्सुल हक, शाह आलम आदि ने शिरकत की।