महफिल-ए-मिलादुन्नबी का 9वां दिन
गोरखपुर। शनिवार को महफिल-ए-मिलादुन्नबी के 9वें दिन बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में मौलाना अली अहमद ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने गुलामी प्रथा का उन्मूलन किया। गुलामों को आज़ाद करने के लिए लोगों को उभारा। उन्हें समानता प्रदान की। पैग़ंबर-ए-आज़म ने महाजनी प्रथा को समाप्त कर दिया। सूद को वर्जित ठहराया, शोषण-चक्र को बिल्कुल रोक दिया और सामाजिक सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किए।
रज़ा मस्जिद जाफ़रा बाज़ार में मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने समाज से व्यभिचार, भ्रष्टाचार, कुरीतियों और अशांति को दूर किया। आपने शराब, जुआ और सट्टे पर प्रतिबंध लगाया। रातों-रात धनवान बनने की लालसा पर रोक लगायी। जमाख़ोरी, चोर-बाजारी, मिलावट, कम तौलना, झूठ बोलकर खराब माल बेचना इत्यादि को रोक दिया। पैग़ंबर-ए-आज़म ने ही फरमाया पेड़ लगाना भी एक प्रकार का सदका है। पैग़ंबर-ए-आज़म ने फ़रमाया जो शख़्स पौधा लगाता है फिर उस पेड़ से जितना फल पैदा होता है अल्लाह फल की पैदावार के बक़द्र पौधा लगाने वाले के लिए नेकी लिख देता है। पैग़ंबर-ए-आज़म पूरी दुनिया के रहनुमा व सरदार हैं।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। महफिल में कारी खैरुलवरा, कारी मो. अनस रज़वी, अली गज़नफर शाह अज़हरी, सैयद रफीक हसन, मो. ज़ैद, मो. फैज़, मो. आसिफ, मो. अरशद, मो. तैयब, तौसीफ खान, मो. लवी, अली कुरैशी, मो. रफीज, सैयद मारूफ आदि शामिल हुए।