तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत की बैठक
गोरखपुर। तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत की बैठक शनिवार को नार्मल स्थित दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद पर हुई। ‘जुलूस-ए-मोहम्मदी और उसके शरई तकाजे व आदाब’ विषय पर आयोजित बैठक में उलमा-ए-किराम ने अवाम से अपील की है कि 19 अक्टूबर को निकलने वाले जुलूस-ए-मोहम्मदी में प्रशासन की गाइडलाइन का पालन किया जाए। फिजिकल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जाए। जुलूस में शामिल लोग मास्क पहनकर चलें। जुलूस में बुजुर्ग, औरतें व छोटे बच्चे शामिल न हों। शहर की तमाम कमेटियां डीजे न बजवाएं और न ही पटाखा फोड़ें। जुलूस में हुड़दंग बिल्कुल भी न हो, बल्कि शांति व अमन के साथ जुलूस निकाला जाए और प्रशासन का सहयोग किया जाए। जुलूस में दीनी पोस्टर, झंडे या किसी मजार जैसे गुंबदे खजरा की बेहुरमती न हो इस बात का पूरा ख्याल रखा जाए। जुलूस की समाप्ति पर होर्डिंग्स व झंडे सुरक्षित स्थानों पर रख दिए जाएं। जुलूस में लोग इस्लामी लिबास में सादगी के साथ शिरकत करें।
मुफ़्ती अख्तर हुसैन (मुफ़्ती-ए-गोरखपुर) व मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि अल्लाह ने हमें करोड़ों नेमत दी लेकिन एहसान नहीं जताया, मगर जब अपने महबूब पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बन्दों के दरमियान भेजा तब एहसान जताया। जिस नेमत को देने पर अल्लाह खुद फरमा रहा है कि “मैंने एहसान किया बन्दों पर” तो ज़रा सोचिए कि कितनी अज़ीम नेमत है मेरे पैग़ंबर-ए-आज़म की विलादत (पैदाइश) की खुशी। लिहाजा मुसलमान ईद मिलादुन्नबी की खुशियां अदब व एहतराम के साथ मनाएं। रोजा रखें। खूब इबादत करें। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करें। दरूदो-सलाम का नज़राना पेश करें। गरीबों व यतीमों को खाना खिलाएं। मरीजों का हालचाल पूछें। पड़ोसियों का ख्याल रखें। डीजे, बैंड बाजा व ढ़ोल न बजाएं। शरीअत के दायरे में रहकर ईद मिलादुन्नबी की खुशियां मनाएं। पटाखा फुलझड़ी से परहेज करें। मिलादुन्नबी का जलसा व महफिल सजाएं। सारी दुनिया को अमनो शांति और हुस्ने अख़लाक का पैग़ाम दें।
बैठक में दरगाह मस्जिद के इमाम मुफ़्ती मुनव्वर रज़ा रज़वी, कारी अफ़ज़ल बरकाती, कारी मोहम्मद अनस रज़वी आदि मौजूद रहे।