सवाल:- मुस्लिम जिहाद करने के लिए आतँकी संघटन क्यों बनाते हैं..?
जवाब:- पहले तो इस सवाल करने वाले को अपनी बुध्दि का थोड़ा इस्तेमाल करना चाहिए और सोचना चाहिए कि विश्वश्व में 180 करोड़ (1.8 Billion) मुस्लिम हैं और अगर क़ुरआन पढ़ कर लोग आतंकवादी बन रहे होते या वो आतँकी संघटन बना रहे होते तो आज दुनिया की क्या हालत हुई होती ?
अतः यह सवाल और सोच ही बिल्कुल निराधार है।
दूसरी बात अगर आतँकी संघटन बनाना मुस्लिमो के धर्म ग्रन्थ में होता तो आज विश्व में सबसे ज़्यादा तेज़ी से कबूल किया जाने वाला धर्म इस्लाम नहीं होता। आज लाखों लोग ईस्लाम को समझ कर इस्लाम अपना रहे हैं और अगर इस बात का ज़रा-सा भी आधार होता कि मुस्लिम लोग अपने मज़हब के कारण आतंकवादी बन रहे हैं तो क्या यह होना संभव था ?
सवाल:- सब मुस्लिम आतँकी नही लेकिन कुछ % आतँकी क्यों है..?
जवाब:- अगर मुस्लिम आतँकी होते तो उनका मकसद क्या होता…? स्वाभाविक सी बात है उनका मकसद दुनिया भर के Non Muslim को मारने का होता तो या डरा धमकाकर मुस्लिम बनाना। अगर इसमें ज़रा सी भी सच्चाई होती तो आप खुद खुली बुद्धि से अपने आप से पूछें क्या UAE, क़तर, ओमान, कुवैत, अरब, बहरीन में दूसरे धर्मों के लोग सुरक्षित होते..?
अगर नहीं तो फिर क्यों हमारे देश और दुनिया भर से लाखों (गैर मुस्लिम) लोग वहाँ जा रहे हैं और वहीं लम्बे समय तक बसने वालो की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है? जबकि सभी देशों में मुस्लिम 70% से अधिक हैं ??
यदि आप खाड़ी देशों के अलावा देखना चाहते हैं तो एशिया में आप मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई देख लें। वहाँ भी यही स्थिति है।
यह भी पर्याप्त नहीं तो फिर तुर्की, जॉर्डन, लेबनान, मोरक्को, मिस्र (इजिप्ट)* देख लें। इनके अलावा भी देखना है तो अल्बानिया, सेनेगल, मालदीव, उत्तरी सायप्रस आदि और भी कई देश हैं जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक है और दूसरे धर्मों के लोग सदियों से सुरक्षित औऱ सम्पन्नता से रह रहे हैं।
सवाल:- फिर ये आतँकी_हमले क्यों हो रहे है…? ये मुस्लिम नही तो कौन है..?
जवाब:- असल में राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह की वारदातें करवाई जाती हैं और फिर निर्दोष मुसलमानो को झूठे आरोप में पकड़ लिया जाता है। इसे साबित करने के लिए एक-दो नहीं बल्कि हज़ारों मामले हैं जिनमे निर्दोष मुस्लिम सालों मुकदमा झेलने के बाद बाइज़्ज़त बरी हुए।
जिसे इस बारे में ज़रा भी संदेह हो वह एडवोकेट अब्दुल वाहिद शेख की किताब #बेगुनाहकैदी पढ़ ले जिसे उन्होंने खुद लिखी थी। जब 2006 में ट्रेन ब्लास्ट केस में मकोका के झूठे आरोप लगाकर अब्दुल वाहिद शेख को हिरासत में लिया गया जो कि 9 साल बाद बेगुनाह साबित होकर बाइज़्ज़त बरी हुए। या फिर पूर्व IG मुम्बई पुलिस की करकरे के क़ातिल कौन..? पढ़ लें।
सवाल:- हो सकता है.. कुछ बेगुनाहों को पकड़ लिया हो लेकिन इससे सच्चाई कैसे छिप सकती है..?
चलिए इसके लिए ऐक छोटा सा विश्लेषण पढ़िए..!
असल में इस्लामी आतंकवाद इस शब्द की शुरुआत 1990 के बाद से हुई इससे पहले कभी यह शब्द मुसलमानों के लिए प्रयोग नहीं किया गया जिस से इसका कुप्रचार और षड्यंत्र होना साबित होता है।
लेकिन यहाँ हम आज इस षडयंत्र के दूसरे पहलू को उजागर करेंगे जिस पर कम ही चर्चा हुई है। वह यह कि अक्सर आतंकवादी घटना बता कर कई लोगों की गिरफ्तारी की जाती है। उन का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि सालों बाद उन पर आरोप सिद्ध ही नहीं हुए और वे रिहा हो गए और ये पता ही नहीं चल पाया कि असल में घटना के पीछे था कौन? या यह जान बूझ कर छुपा दिया जाता है? क्या यह आतंकी घटना थी या सोची समझी साज़िश।
देखें :-
▪️ देश में नक्सली और आतंकी हमले और उनका विश्लेषण
1980 से 2019 तक देश में नक्सली और आतंकी हमले 110 से ज़्यादा है, इन हमलों में 3870 से ज़्यादा नागरिक मारे गए, 6683 से ज़्यादा घायल हुए।
इन 110 हमलों में से मात्र 11 केस पर फ़ैसला आया और अपराधियों को सजा हुई। बचे 100 से ज़्यादा नक्सली / आतंकी हमलों में गिरफ्तार किए गये लोग बेगुनाह साबित हुए औऱ 5-साल, 10-साल और 20-सालों के लम्बे मुकदमों के बाद बाइज़्ज़त बरी हुए।
हर हमले के बाद पकड़े जाने वाले, जिनको इस दावे के साथ पकड़ा जाता था, की ये आतंकी है और इनके खिलाफ पुख्ता सबूत है। पर सरकार यह कभी साबित ही नहीं कर पाई और आंकड़े बताते है, की जिनको आतंकवाद के इल्ज़ाम में पकड़ा है, वे सब तो निर्दोष थे।
⚫️अक्षरधाम मंदिर हमले में जिनको पकड़ा था, वे बाइज्ज़त बरी हुए…? मतलब जिनको आतंकी कह कर पकड़ा था, वे बेगुनाह थे..?
तो फिर सवाल उठता है कि अक्षरधाम मंदिर पर हमला किसने करवाया था और इसके पीछे किस लाभ का मकसद था?
⚫️संसद हमले के समय 4 लोगों को आरोपी बनाया गया था। एक को फाँसी दी गई (जिसको फाँसी दी थी, उसने कहा था कि मुझे देवेंद्र सिंह ने फँसाया है, उस समय किसी ने भी नहीं सुना, लेकिन अब देवेंद्र सिंह ख़ुद पकड़ा गया) 2 को बाद में बरी कर दिया चौथा जिसको मास्टर माइंड बताया गया था, 3 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से बाइज्ज़त बरी हो गया।
फिर सवाल ये है? संसद / अक्षरधाम औऱ दूसरे हमले किसने करवाये? जिनको आरोपी बनाया वे बरी हो गए तो असली आरोपी कौन थे? उनको बचाने में किस की भूमिका है?
- क्यों आज तक हमले के असली मुज़रिम पकड़े नहीं गये…?
- किन लोगों को बचाने के लिए किन लोगों ने निर्दोषों को झूठे मुकदमे में फँसाया…?
- क्या आतंकी और नक्सली हमले राजनीतिक हित साधने के लिए होते है..?
- कब तक हम झूठे प्रोपेगेंडा में आकर सच्चाई को अन देखा करते रहेंगे..?
- कब तक हमारे देश के वीर सैनिक और आम जनता बलि चढ़ते रहेंगे…?