कविता

इश्क़ ए हक़ीक़ी

✍🏻सिद्दीक़ी मुहममद ऊवैस

मैं एक रहस्य उलझा सा,
जिसे हल किया है तूने
मैं एक संदेश अधूरा सा,
जिसे पूरा किया है तूने
मैं एक साज़ टूटा सा,
जिसे जोड़ा है तूने
मैं एक नाम छुपा सा,
जिसे ज़ाहिर किया है तूने
मैं एक सवाल हूँ दुश्वार सा,
जिसे जवाब दिया है तूने
मैं एक चिराग़ बुझा सा,
जिसे रोशन किया है तूने
मैं एक जिस्म बेजान सा,
जिसे जानदार किया है तूने….!!!!!

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