इस्लाम ने मानवाधिकार दिया। इस्लाम ने आधी आबादी को बेटी होना पाप जैसे अभिशाप से मुक्ति दिलाई। इस्लाम ने महिलाओं को विरासत में अधिकार दिया। इस्लाम ने सूदखोरी को हराम करार दिया। इस्लाम ने रंग भेद को मिटाया। इस्लाम ने नस्लवाद को मिटाया। इस्लाम ने इंसानों को ग़ुलामी से आज़ाद कराया। इस्लाम ने इंसानों के पैरों में पड़ी ग़ुलामी की बेड़ियां उतरवाकर समुन्द्र में फिंकवा दीं। पूंजीवाद के ख़िलाफ इसलाम डटकर खड़ा है। इस्लाम ने सामाजिक न्याय दिया। इस्लाम ने पड़ोसी पर पड़ोसी के फर्ज़ तय किए। इस्लाम ने इंसानियत की सेवा को सबसे बड़ी सेवा करार दिया। इस्लाम ने सभी इंसानों को एक ही आदम की औलाद करार देकर जातिवाद का सर्वनाश कर दिया। इस्लाम ने ऊंच-नीच मिटाकर इंसानों से इंसान होने का हक़ छीनने वालों की अमानवीय कृत्यों की दुकानें हमेशा के लिए बंद कर दीं।
इस्लाम ने शराब नामक ज़हर को हराम करार दिया। ताकि इंसान समाज में रहने का शऊर सीख सके। इस्लाम ने अश्लीलता को गुनाह करार दिया। इस्लाम ने मर्द ओ ज़न की हदें निर्धारित कीं। इस्लाम ने पानी बचाने, प्रकृति बचाने, पर्यावरण बचाने के नियम निर्धारित किये। मैदान-ए-जंग में भी निहत्थे, बूढ़े, बच्चे, महिलाओं की जान ना लेने को सख्ती से मना किया। इस्लाम ने खाने का, रहने का, जीने का सलीका और शऊर बताया। इस्लाम ने इंसाफ़ को सर्वोपर्री रखा और यहां तक कह दिया कि दुश्मन के साथ भी न्याय करना। इस्लाम ने इंसानों के बीच भेदभाव को समाप्त किया। इस्लाम ने आदेश दिया कि मजदूर की मजदूरी उसका पसीना सूखने पहले अदा कर दो। आज के लिए इतना काफी है !
साभार: वसीम अकरम त्यागी