एक मर्तबा हज़रते ईसा अलैहिस सलाम एक बस्ती के करीब से गुजरे, देखा के नहरें जारी हैं बस्ती बड़ी पुर रौनक है जन्नत का नमुनह है बस्ती वालों के पास तरह तरह के खाने हैं और उनके पास खूबसूरत और हसीन लड़के और लड़कियां हैं और उस बस्ती के रहने वाले बड़े इबादत गुज़ार भी थे, ये देख कर हज़रते ईसा अलैहिस सलाम को बड़ी मसर्रत हुई और आप आगे बढ़ गए, तीन साल बाद वापस तशरीफ़ लाए तो सूरते हाल बदली हुई थी, न साया दार दरख्त न सब्ज़ह का नामो निशान था मकान मूनहदिम थे और आबादी खत्म हो चुकी थी
हज़रते ईसा अलैहिस सलाम देख कर बहुत हैरान हुए खुदाबन्द तआला ने जिबरइल को वही देकर हज़रते ईसा अलैहिस सलाम के पास भेजा उन्हों ने कहा ऐ रूहुल्लाह बात ये है के यहाँ से एक बेनमाज़ी का गुज़र हुआ उसने चश्मह पर अपना चेहरा धोया पस उस बेनमाज़ी की वजह से चश्मे खुश्क हो गए दरख्त सूख गए और बस्ती तबाहो बर्बाद हो गई, ऐ ईसा अलैहिस सलाम नमाज़ जब दीन को गिरा सकती है तो दुन्या भी लाज़िमी तौर पर तबाहो बर्बाद हो सकती है
(मवाईज़े रजविय्या हिस्सा एक सफहा 12)