धार्मिक

आयते करीमा

नौशाद अह़मद ज़ैब रज़वी, इलाहाबाद

استغفر الله الذى لااله الا هو الحى القيوم واتوب اليه

एक मर्तबा हज़रत इमाम हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के पास चन्द लोग अपनी परेशानी लेकर हाज़िर हुए उसमें से एक ने सूखे की शिकायत की आपने फरमाया कि अस्तग़फ़ार करो दूसरा बोला कि मैं गरीब हूं तो आपने फरमाया कि अस्तग़्फार करो तीसरे ने औलाद ना होने की शिकायत की तो आपने फरमाया कि अस्तग़्फार करो फिर चौथा ज़मीन से कम पैदावार की अर्ज़ लेकर आया तो फरमाया कि अस्तग़्फार करो,हाज़ेरीन ने कहा कि ऐ इमाम परेशानी सबकी जुदा जुदा है और आप हल सबका एक ही फरमा रहे हैं इसकी क्या वजह है तो आप फरमाते हैं कि जब हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की क़ौम अपनी जुदा जुदा मुश्किल को लेकर उनकी बारगाह में हाज़िर हुई तो आपने तमाम मुश्किलों का एक ही हल बताया था कि खुदा से माफी मांगो और ये क़ुरान से साबित है,तो हर मुश्किल का हल खुदा की बारगाह में तौबा करने से हासिल हो जायेगा (तज़किरातुल अम्बिया,सफह 69)

لا إله إلا أنت سبحانك إني كنت من الظالمين

आयते करीमा,यही वो तस्बीह थी जिसे हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम ने मछली के पेट में पढ़ी और मौला तआला ने आपको हर ग़म से आज़ाद कर दिया जबकि फरमाता है कि अगर ये तस्बीह ना पढ़ते तो क़यामत तक वहीं रहते,लिहाज़ा अब कोई मुसलमान कितनी भी बड़ी मुसीबत में गिरफ्तार हो या कैसी भी परेशानी हो तो सच्चे दिल से तायब होकर उसकी बारगाह में इसी आयत का कसरत से विर्द करे तो मौला तआला उसकी तमाम मुश्किलें ज़रूर ज़रूर आसान फरमा देगा,इन शा अल्लाह (तज़किरातुल अम्बिया,सफह 200)

तो अब अगर रब को राज़ी करना चाहते हैं और दुश्मनों को ज़ेर करना चाहते हैं तो अपने गुनाहों से तौबा कीजिये और मर्द हो या औरत सबसे पहले तो नमाज़ पढ़े और हर नमाज़ के बाद कम से कम 100 मर्तबा आयते करीमा का विर्द करे और तमाम मुसलमानों के हक़ में रब से सलामती व आफियत की दुआ करे

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *