धार्मिक

बयान-ए-रमज़ान (क़िस्त 03)

मसाइले रोज़ा

۞भूल कर खाने पीने या भूल कर जिमआ करने से रोज़ा नहीं टूटेगा।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 112

۞बिला कस्द हलक में मक्खी धुआं गर्दो गुबार कुछ भी गया रोज़ा नहीं टूटेगा।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 112

۞ बाल या दाढ़ी में तेल लगाने से या सुरमा लगाने से या खुशबू सूंघने से रोज़ा नहीं टूटता अगर चे सुरमे का रंग थूक में दिखाई भी दे तब भी नहीं।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 113

۞कान में पानी जाने से तो रोज़ा नहीं टूटा मगर तेल चला गया या जान बूझकर डाला तो टूट जायेगा।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 117

۞एहतेलाम यानि नाइट फाल हुआ तो रोज़ा नहीं टूटा मगर बीवी को चूमा और इंजाल हो गया तो रोज़ा टूट गया युंहि हाथ से मनी निकालने से भी रोज़ा टूट जायेगा।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 117

۞तिल या तिल के बराबर कोई भी चीज़ चबाकर निगल गया और मज़ा हलक में महसूस ना हुआ तो रोज़ा नहीं टूटा और अगर मज़ा महसूस हुआ या बगैर चबाये निगल गया तो टूट गया और अब क़ज़ा के साथ कफ्फारह भी वाजिब है।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 114,122

۞आंसू मुंह में गया और हलक़ से उतर गया तो अगर 1-2 क़तरे हैं तो रोज़ा ना गया लेकिन पूरे मुंह में नमकीनी महसूस हुई तो टूट गया।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 117

۞बिला इख्तियार उलटी हो गयी तो चाहे मुंह भरकर ही क्यों ना हो रोज़ा नहीं टूटेगा ये समझकर कि रोज़ा टूट गया खाया पिया तो कफ्फारह वाजिब होगा।
📕 फतावा आलमगीरी,जिल्द 1,सफह 190
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 121

۞कुल्ली करने में पानी हलक़ से नीचे उतरा या नाक से पानी चढ़ाने में दिमाग तक पहुंच गया अगर रोज़ा होना याद था तो टूट गया वरना नहीं।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 117

۞पान,तम्बाकू,सिगरेट,बीड़ी, हुक्का खाने पीने से रोज़ा टूट जायेगा
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 116

۞जानबूझकर अगरबत्ती का धुआं खींचा या नाक से दवा चढ़ाई या कसदन कुछ भी निगल गया तो रोज़ा टूट गया।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 113,114,117

۞इंजेक्शन चाहे गोश्त में लगे या नस में रोज़ा नहीं टूटेगा मगर उसमें अलकोहल होता है इसलिए जितना हो सके बचा जाये।
📕 फतावा अफज़लुल मदारिस,सफह 88

۞पूरा दिन नापाक रहने से रोज़ा नहीं जाता मगर जानबूझकर 1 वक़्त की नमाज़ खो देना हराम है।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 113

۞झूट,चुगली,ग़ीबत,गाली गलौच,बद नज़री व दीगर गुनाह के कामों से रोज़ा मकरूह होता है लेकिन टूटेगा नहीं।
📕 जन्नती ज़ेवर,सफह 264

۞जिन बातों से रोज़ा नहीं टूटता ये सोचकर कि टूट गया फिर जानबूझकर खाया पिया तो उस पर क़ज़ा के साथ कफ्फारह भी वाजिब होगा।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 120

۞कफ्फारये रोज़ा ये है कि लगातार 60 रोज़े रखे बीच में अगर 1 भी छूटा तो फिर 60 रखना पड़ेगा या 60 मिस्कीन को दोनों वक़्त पेट भर खाना खिलाये या 1 ही फकीर को दोनों वक़्त 60 दिन तक खाना खिलाये।
📕 बहारे शरीअत,हिस्सा 5,सफह 123

والله تعالیٰ اعلم بالصواب

लेखक: क़ारी मुजीबुर्रह़मान क़ादरी शाहसलीमपुरी– बहराइच शरीफ यू०पी०
मदरसा ह़नफिया वारिसुल उलूम क़स्बा बेलहरा ज़िला बाराबंकी यू०पी०

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