गोरखपुर

गोरखपुर: वसीम रिज़वी के खिलाफ मुस्लिम औरतों ने भरी हुंकार, दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद पर औरतों का जलसा

गोरखपुर। तहफ़्फ़ुजे नामूस-ए-क़ुरआन, दीन-ए-इस्लाम में औरतों के अधिकार, दहेज़, बच्चों की परवरिश और दीनी-दुनियावी तालीम, औरतों का पर्दा सहित तमाम समाजी व मजहबी मुद्दों को लेकर नार्मल स्थित दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद में रविवार को मुस्लिम औरतों का जलसा हुआ। वसीम रिज़वी के खिलाफ जमकर गुस्से का इजहार किया गया। गिरफ्तारी की भी मांग की गई।

मुख्य वक्ता आलिमा शाइस्ता आपा बलियावी ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक अल्लाह का कलाम है। यह एक मात्र किताब है जो सारी किताबों की सरताज है। यहां तक कि कयामत तक पैदा होने सारे सवालों का जवाब क़ुरआन-ए-पाक में है। दीन-ए-इस्लाम ने इस किताब के जरिए जो कानून अता किए हैं उनसे इंसानियत की हिफ़ाजत होती है और आदमियत का वकार बढ़ता है। दीन-ए-इस्लाम पूरी इंसानी बिरादरी की हिफ़ाजत की बात करता है। क़ुरआन-ए-पाक वो लाज़वाब किताब है जिसका जवाब न कल था, न आज है, न रहती दुनिया तक कोई जवाब दे सकेगा। यह अल्लाह का कलाम है। सारी किताबें क़ुरआन-ए-पाक की अज़मतों का खुतबा पढ़ती हैं। वसीम रिज़वी जैसे लोग पूरी इंसानियत के दुश्मन हैं।

विशिष्ट वक्ता आलिमा नूर फातिमा ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की तालीमात पर अमल करके हम दीन व दुनिया की कामयाबी हासिल कर सकते हैं। क़ुरआन व शरीयत के बताए रास्ते पर चलें। हर बुराई से दूर रहने के लिए नमाज़ की पाबंदी करें। दीनी तालीम खुद भी हासिल करें। बच्चों को भी दीनी तालीम दिलाएं। बच्चों को दुनियावी तालीम भी दिलाइ जाए। इंसानियत और एक अल्लाह की इबादत का संदेश देने वाले पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम समाज में औरतों को सम्मान एवं अधिकार दिए जाने के हमेशा पैरोकार रहे। दीन-ए-इस्लाम में औरतों के लिए पर्दा बेहद जरूरी करार दिया गया है। लिहाजा पर्दे का हर हाल में ख्याल रखा जाए।

विशिष्ट वक्ता आलिमा ताबिंदा खानम ने कहा कि नमाज़ इंसान को हर बुराई से दूर रखती है। नमाज़ पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के आंखों की ठंडक है। नमाज खुद भी अदा करें। घर वालों से भी नमाज पढ़ने के लिए कहें। पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सुन्नतों पर अमल करने की हिदायत करते हुए बोलीं कि मुसलमान बुराइयों को छोड़ कर अल्लाह व पैगंबर-ए-आज़म के बताए रास्ते पर अमल करें। दहेज की डिमांड का सिस्टम खत्म किया जाए। शादी वगैरा में फिजूलखर्ची अल्लाह व पैगंबर-ए-आज़म को पसंद नहीं है इसलिए शादियों को पैगंबर-ए-आज़म की सुन्नत के मुताबिक अमल में लाया जाए। मां की गोद बच्चे की पहली दर्सगाह होती है इसलिए शादी दीनदारी देखकर की जाए।

सदारत आलिमा हुस्न आरा खातून ने व कयादत आलिमा मुसर्रत जहां ने की। संचालन आलिमा फातिमा ज़हरा ने किया। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर अमन, सलामती व तरक्की की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। जलसे में हनफिया ताहिरा, मोहसिना फातिमा, गुलफिशां खातून, शहनाज फातिमा सहित बड़ी संख्या में औरतें मौजूद रही।

समाचार अपडेट प्राप्त करने हेतु हमारा व्हाट्सएप्प ग्रूप ज्वाइन करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *