गोरखपुर

गोरखपुर: उलेमा बोले: वसीम रिज़वी गुमराह, जाहिल व बद्दीन, गिरफ्तारी की मांग

कुरआन-ए-पाक में बदलाव असंभव, कुरआन-ए-पाक व खलीफा की तौहीन बर्दाश्त नहीं

गोरखपुर। अल्लाह की अज़ीम मुकद्दस किताब कुरआन-ए-पाक से 26 आयतें हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले वसीम रिज़वी के खिलाफ मुस्लिम समुदाय में जबरदस्त गुस्सा है। उलेमा से लेकर अवाम तक में बेचैनी की कैफियत है। वसीम रिज़वी पर कार्रवाई की मांग उठ रही है।

मुफ्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही (काजी-ए-शहर) ने कहा कि वसीम रिज़वी कुरआन-ए-पाक व सहाबा-ए-किराम का सबसे बड़ा दुश्मन है। उसकी सोच व कृत्य मानसिक दिवालिएपन को दर्शाती है। ऐसा शख्स अमन शांति के लिए खतरा है। गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा देकर सलाखों के पीछे डाला जाए। अल्लाह ने पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर कुरआन-ए-पाक नाज़िल फरमाया। कुरआन-ए-पाक में हर चीज का इल्म है। कुरआन-ए-पाक तब से आज तक वैसा ही है जैसा नाज़िल हुआ था और हमेशा वैसा ही रहेगा।

मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-शहर) ने कहा कि वसीम रिज़वी का दिमागी संतुलन बिगड़ चुका है। उसकी असली जगह जेल है। सरकार दीन व समाज के दुश्मन पर तुरंत एक्शन ले। गिरफ्तार करे। कुरआन-ए-पाक का एक नुक्ता, एक हर्फ भी बदलना असंभव है। कुरआन-ए-पाक में सभी लोगों के लिए रौशनी, हिदायत, हिकमत और शिफा है। यह किताब जिंदगी गुजारने का तरीक बताती है। जिंदगी का संविधान व नियम कानून है। आसमानी कानून है। यह किताब अच्छे बुरे में फर्क व तमीज करती है। यह अल्लाह की किताब है। कलाम भी है और सिफत भी। इसके एक-एक हुरूफ पढ़ने पर दस नेकियां मिलती हैं। कुरआन-ए-पाक व सहाबा-ए-किराम की तौहीन किसी भी सूरत में कोई भी गैरतमंद मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेगा।

मोती मस्जिद अमरुतानीबाग रसूलपुर के इमाम मुफ्ती खुश मोहम्मद मिस्बाही ने कहा कि मौजूदा कुरआन-ए-पाक के सभी हुरुफ और आयात हक और अल्लाह की तरफ से नाज़िल की हुई हैं। किसी भी खलीफा ने घटाया बढ़ाया नहीं, कुरआन-ए-पाक इसकी खुद गवाही देता है। किसी भी खलीफा के ऊपर घटाने, बढ़ाने का इल्ज़ाम कुरआन-ए-पाक, खलीफा और दीन-ए-इस्लाम की तौहीन है, जिसे कोई भी मुसलमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। वसीम रिजवी जैसे फसादी और समाज दुश्मन को फौरन गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जाए ताकी ऐसा फिर कोई और न करे। किसी भी आयत से समाज को किसी तरह का गलत मैसेज नहीं पहुंचता। कुरआन-ए-पाक की आयत में कमी नहीं, कमी दिमाग और सोच में है। वसीम रिज़वी जैसे समाज के दुश्मन को दिमाग के इलाज की जरूरत है। इस जैसो का कोई दीन है न धर्म। ये अपने फायदे व मकसद के लिए मुल्क का माहौल खराब करते रहते हैं।

मुफ्ती मो. अज़हर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि वसीम रिज़वी विकृत मानसकिता वाला शख्स है। जो सस्ती लोकप्रियता के लिए मजहब व देश के कानून के साथ खिलवाड़ करता रहता है। ऐसे शख्स की तत्काल गिरफ्तारी की जाए। कड़ी सजा दी जाए। रिज़वी देश व समाज पर बदनुमा दाग व कलंक है। कुरआन-ए-पाक में बदलाव करना तो दूर सोचना भी कुफ्र है। सहाबा-ए-किराम की तौहीन करने वाला गुमराह, बद्दीन व जाहिल है।

सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह के इमाम मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि कुरआन-ए-पाक, पैगंबर-ए-आज़म, सहाबा-ए-किराम व अहले बैत की अज़मत पर मुसलमान दिलो जान से कुर्बान हैं। बेहुर्मती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वसीम रिजवी का मानसिक संतुलन बहुत दिनों से बिगड़ा हुआ है। उसे इलाज की जरूरत है। वसीम रिजवी जैसे बहुत से दुश्मनाने इस्लाम आए और जहन्नम पहुंच गए मगर कुरआन-ए-पाक से 26 आयत तो दूर की बात एक नुक्ता न मिटा सके। हां, वह खुद जरूर मिट गए। नामोनिशान खत्म हो गया मगर अल्लाह की आख़िरी किताब का जलवा आज तक बाकी है और बाकी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट याचिका ख़ारिज कर वसीम की गिरफ्तारी का आदेश दे।

मस्जिद जामेनूर बहरामपुर के सदर कारी जमील मिस्बाही ने कहा कि सस्ती लोकप्रियता के लिए वसीम रिज़वा किसी भी हद तक जा सकता है। ऐसे शख्स पर लगाम लगनी ही चाहिए। रिज़वी की तुरंत दिमागी जांच होनी चाहिए। उसका इलाज पागलखाने व जेल में ही मुमकिन है। भारत सरकार व उप्र सरकार को ऐसे शख़्स पर लगाम लगानी चाहिए। कुरआन-ए-पाक की हिफाजत का जिम्मा अल्लाह ने लिया है। वसीम रिज़वी जैसे लाखों आ जाएं एक हर्फ व नुक्ता नहीं बदल सकते। वसीम रिज़वी समाज में ज़हर घोलना चाहता है। उसकी सही जगह जेल है। न मुसलमान कुरआन-ए-पाक की तौहीन बर्दाश्त करेगा और न ही सहाबा-ए-किराम की।

गौसिजा जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि कुरआन-ए-पाक में बदलाव नामुमकिन है। हम न कुरआन-ए-पाक की तौहीन बर्दाश्त करेंगे न ही चारों खलीफा व सहाबा की। समाज, इंसानियत, देश की अखंडता, एकता व भाईचारे के दुश्मन वसीम रिज़वी को गिरफ्तार कर फांसी की सजा दी जाए। वसीम रिजवी ने कारून, फिरऔन, नमरुद, यजीद को भी पीछे छोड़ दिया है।

नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के इमाम मौलाना मो. असलम रज़वी ने कहा कि वसीम रिज़वी फसादी है। उसकी सही जगह कैदखाना है। उसकी तत्काल गिरफ्तारी की जाए। कौम व देश के दुश्मन को फांसी की सजा दी जाए। अल्लाह की किताब कुरआन-ए-पाक में न पहले बदलाव हुआ, न आज बदलाव होगा और न ही कयामत तक बदलाव मुमकिन है। कुरआन-ए-पाक व सहाबा-ए-किराम का दुश्मन दीन-ए-इस्लाम व पूरी इंसानियत का दुश्मन है।
‘है कौले मोहम्मद, कौले खुदा फरमान न बदला जाएगा, बदलेगा ज़माना लाख मगर कुरआन न बदला जाएगा’। कुरआन-ए-पाक का मुहाफिज अल्लाह है।

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