- जलसा, जुलूस के जरिए आम होगी पैग़ंबरे इस्लाम की तालीमात
गोरखपुर। इस्लामी माह रबीउल अव्वल शरीफ की 12 तारीख़ पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की यौमे पैदाइश का दिन है। जिसे पूरी दुनिया ईद मिलादुन्नबी त्योहार के रूप में मनाती है। गुरुवार 28 सितंबर को यह त्योहार अकीदत, एहतराम व सादगी के साथ मनाया जाएगा। ईद मिलादुन्नबी व जुलूस-ए-मोहम्मदी की तैयारियां मुकम्मल हो चुकी हैं।
जुलूस में इस्लामी परचम (झंडा) व बैनर के जरिए दीन-ए-इस्लाम का पैग़ाम आम किया जाएगा। जुलूस में पैग़ंबरे इस्लाम के जीवन, क़ुरआन और हदीस से जुड़ी तख्तियां, बैनर व मस्जिदों के मॉडल आकर्षण का केंद्र होंगे। दरूदो सलाम और नारा-ए-तक़बीर व नारा-ए-रिसालत की सदाएं बुलंद की जाएंगी। वहीं जलसा व मिलाद की महफिलों में उलमा किराम पैग़ंबरे इस्लाम की रिसालत, अज़मत, बड़ाई व फज़ीलत बयान कर लोगों से सच्चाई, ईमानदारी तथा शरीअत के मुताबिक ज़िन्दगी गुजारने की अपील करेंगे। कई मोहल्लों में लंगर भी बांटा जाएगा।
गुरुवार की सुबह शहर की तमाम मस्जिदों पर परचम कुशाई (झंडारोहण) की रस्म परंपरा के अनुसार अदा की जाएगी। या नबी सलाम अलैका, या रसूल सलाम अलैका, मुस्तफा जाने रहमत पे लाखों सलाम, हुजूर की आमद मरहबा जैसी प्यारी सदाओं से फिजा गूंज उठेगी।
परचम कुशाई के बाद रहमतनगर, कमेटी खुद्दामे नबी तुर्कमानपुर, अहमदनगर चक्शा हुसैन, जाफ़रा बाज़ार, मिर्जापुर चाफा, गाजी रौजा, रसूलपुर, बड़गो, तुर्कमानपुर, खूनीपुर, गोरखनाथ, दीवान बाजार, इलाहीबाग, निज़ामपुर, जाहिदाबाद, चिलमापुर, तकिया कवलदह, नखास, घासीकटरा, खूनीपुर, वारिस कमेटी मियां बाजार सहित तमाम क्षेत्रों से जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला जाएगा। जिसका सिलसिला प्रशासन की गाइडलाइन के मुताबिक सुबह छह से दोपहर बारह बजे तक व रात साढ़े दस बजे से भोर तक जारी रहेगा। नखास जुलूसों का केंद्र रहेगा। हर मुस्लिम बाहुल्य मोहल्ले में मिलादुन्नबी की महफिलें व जलसे होंगे। ईद मिलादुन्नबी के मौके पर बच्चों से लेकर बड़ों में काफी उत्साह दिख रहा है। नख़ास पर झंडा बैनर की दुकानें गुलजार हैं। सोशल मीडिया पर एक दूसरे को मुबारकबाद पेश की जा रही है।
गाजी मस्जिद गाजी रौजा, नूरी जामा मस्जिद चक्शा हुसैन, सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह, हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर समेत सभी मस्जिद, दरगाह, घर व मोहल्लों को फूलों, लाइटों, इस्लामी झण्डों, गुब्बारों, झंडियों से सजाया गया है। घर, मस्जिद व दरगाहों पर इस्लामी झंडे शान से लहरा रहे हैं। कई जगहों पर जुलूस के इस्तकबाल के लिए गेट भी तैयार किए गए हैं। मोहल्ला अहमदनगर चक्शा हुसैन को बहुत ही शानदार तरीके से सजाया गया है।
बुधवार की शाम से गोलघर, अहमदनगर चक्शा हुसैन, गाजी रौजा, खूनीपुर, रहमतनगर, सूर्य विहार तकिया कवलदह सहित तमाम मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों के घरों, मस्जिदों में मिलादुन्नबी की महफिल, जलसा, क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी, दुआ ख़्वानी व नात ख़्वानी का दौर शुरू हो गया है। गौसे आजम फाउंडेशन की ओर से फल बांटा।
वहीं गुरुवार को दोपहर 3 बजे से छोटे काजीपुर स्थित पुराने एलआईयू आफिस के निकट व बड़े काजीपुर स्थित इमामबाड़े वाली मस्जिद के निकट पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पवित्र बाल मुबारक की जियारत कराई जाएगी। शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह रसूलपुर में पौधारोपण किया जाएगा।
पैग़ंबरे इस्लाम ने अल्लाह के पैग़ाम को पूरी दुनिया में पहुंचाया : मौलाना मोहम्मद अहमद
गोरखपुर। ईद मिलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर बुधवार को नौजवान कमेटी की ओर से गेहुंआ सागर में जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी हुआ। संचालन हाफिज रहमत अली निजामी ने किया।
मुख्य वक्ता मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी व कारी मोहम्मद अनस रजवी ने आखिरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िंदगी व सीरत पर रौशनी डालते हुए कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ऐसे जमाने में जन्म लिया, जब अरब के हालात बहुत खराब थे। बच्चियों को ज़िंदा दफ़न कर दिया जाता था। विधवाओं के साथ बुरा सुलूक होता था। छोटी-छोटी बात पर तलवारें निकल जाती थीं। अरब का समाज कबीलों में बंटा था। इंसानियत शर्मसार हो रही थी। ऐसे समय में इंसानों की रहनुमाई के लिए इस्लामी माह रबीउल अव्वल शरीफ की 12 तारीख को अरब के मक्का शहर में पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ। वालिद का नाम हज़रत अब्दुल्लाह व वालिदा का नाम हज़रत आमिना था। दादा हजरत अब्दुल मुत्तलिब थे। बचपन में वालिद का साया उठ गया। आपके दादा ने परवरिश की। पैग़ंबरे इस्लाम ने जब अल्लाह का पैग़ाम आम करना शुरु किया तो उस दौर के मक्का में रहने वाले लोगों को काफी बुरा लगा। आपको तरह-तरह की तकलीफें दी गईं। आपने हर ज़ुल्म का डटकर सामना किया। आपको मक्का से हिजरत करने पर मजबूर किया गया। आप मदीना शरीफ चले गए। इतनी परेशानियों के बाद भी आपने अपने मिशन को नहीं छोड़ा और अल्लाह के पैग़ाम को पूरी दुनिया में पहुंचाया। आपने मजलूमों, गुलामों, औरतों, बेसहारा, यतीमों को उनका हक़ दिलाया। अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। जलसे में हाफिज मो. आरिफ रज़ा, शादाब अहमद, मो. इसराइल खान, साहिल खान, शमशाद खान, मो. इस्तेखार खान, नूर मोहम्मद, शाहिद खान, सद्दाम खान आदि मौजूद रहे।
अल्लाह ने पैगंबरे इस्लाम को नूर बनाकर भेजा : मौलाना रियाजुद्दीन