बाराबंकी

बाराबंकी: प्रसिद्ध शायर ज़की तारिक मौलाना सिराज अहमद कमर एवार्ड 2023 से सम्मानित

  • सभी धर्म मानवता एवं प्रेम का सन्देश देते हैं:इरशाद अहमद

बाराबंकी(अबू शहमा अंसारी)सभी धर्म मानवता एवं प्रेम का सन्देश देते हैं। मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए धर्म से हटकर बात करता है, जिससे समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द प्रभावित होता है। उक्त विचार मौलाना सिराज अहमद क़मर की तीसवीं बरसी के अवसर पर फतेहपुर में आयोजित कौमी यकजहती के शीर्षक से होने वाले महफिले मुशायरा में मुख्य अतिथि इरशाद अहमद कमर चैयरमेन नगर पंचायत फतेहपुर ने व्यक्त किये। उन्होंने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि ईर्ष्या तथा नफरत की समाप्ति किये बगैर अम्न व मोहब्बत का सपना साकार नहीं हो सकता। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सद्गुरु आश्रम के महन्त लक्षमेन्द्र दास ने अपने उदबोधन में कहा कि क़ौमी एकता का प्रतीक क़मर फाउंडेशन जिस प्रकार से सभी धर्म और जातियों के लोगों को अपने गले लगाकर इन्सानियत की मिसाल पेश कर रहा है, वो प्रशंसा के लायक़ है। आप सभी लोग कमर फाउंडेशन से जुड़कर समाजसेवी कार्यों में मौलाना मेराज अहमद कमर को सहयोग प्रदान करें। हाफिज अब्दुल हई व मौलाना वक़ार अहमद क़ासमी ने भी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने पर अपने विचार रखे और मौलाना सिराज अहमद कमर की जीवनी से भी परिचित कराया।
क़मर फाउंडेशन के संस्थापक व संरक्षक मेराज अहमद क़मर ने कमर फाउंडेशन द्वारा किये जा रहे समाजसेवी कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज सोशल मीडिया के ज़रिए हमारी नई नस्ल ग़लत रास्तों पर जा रही है हमें उसे बचाना होगा। कमर फाउंडेशन की जानिब से मुख्य अतिथि इरशाद अहमद कमर के हाथों प्रसिद्ध शायर एवं साप्ताहिक अख़बार सदा-ए-बिस्मिल के एडीटर ज़की तारिक को मौलाना सिराज अहमद कमर एवार्ड 2023 से सम्मानित किया गया।
मशहूर युवा शायर व कवि अहमद सईद हर्फ़ के संचालन में महफिले-मुशायरा में शायरों ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया।

कुछ सिसकते लफ्ज़ भी हैं और कुछ ज़ख़्मी ग़ज़ल,
और कुछ मजरूह अंदाज़े-बयाँ है इन दिनों।
सलमान अतहर

दुनिया भर का है नूर उस पे फिदा,
वो जो इक हबशी काला काला है।
ज़की तारिक़

कौन हिन्दू है कौन मुस्लिम है,
बन्द अब, ये सवाल हो जाएं।
अहमद सईद हर्फ़

मिटाकर नफरतों को आओ हम सब एक हो जाएं,
इसी में अम्न है और अम्न में सब कुछ सलामत है।
मुतिउल्लाह हुसैनी

किसी मज़लूम की पगड़ी न उछाली जाए,
आओ बैठो कोई तरकीब निकाली जाए।
हसन नईमी

हम इन्सां हैं बहुत कुछ हमसे अच्छा हो नहीं सकता,
मगर जितना भी बन पाए वो अच्छा कर लिया जाए।
मास्टर इरफान बाराबंकवी

इसके अलावा अदील मंसूरी, राही सिद्दीकी, अतहर कमलापुरी, कारी परवेज़ यज़दानी, आफ़ताब जामी, सलीम अखतर पैंतेपूरी, शादाब अनवर, नसीम अखतर क़ुरैशी ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। इस अवसर पर मुख्य रूप से ज़फरुल इस्लाम पप्पू, मोहम्मद असलम, मोहम्मद हसीब, दिलशाद मंसूरी, हाजी अब्दुल मन्नान, सभासद संतोष मिश्रा, मोहम्मद राहिल, ब्यूरो चीफ बिशन कुमार, अलीम शेख, रज़ी अहमद इदरीसी, मोहम्मद इब्राहीम अंसारी, शेख ज़ियाउद्दीन, पत्रकार एहतिशाम आलम, मौलाना नसीम नदवी, मोहम्मद फैसल, आलम क़ुरैशी, राजू खान सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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