गोरखपुर। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीद अशफाक उल्लाह खाँ की याद में अखिल भारतीय मुशायरे का आयोजन किया गया है। मुशायरें की अध्यक्षता श्री रिज़वान अहमद पूर्व डी०जी०पी उoप्रo ने की। इस मौके पर चेयरमैन अकादमी चौधरी कैफुलवरा अंसारी ने कहा कि मुशायरा हमारी गंगा जमनी तहज़ीब का प्रतीक है और मुशायरें से राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलता हैं। अकादमी के सचिव एस० मनाज़िर आदिल हसन ने कवियों और दर्शकों का स्वागत किया और कहा कि कवि अपनी कविताओं के माध्यम से देशभक्ति का संदेश देते है और राष्ट्रीय एकता की भावना को उजागर करते है। इस अवसर पर देश के प्रसिद्ध शायरों / कवियों की वाणी से श्रोताओं का मनोरंजन हुआ।
मुशायरें में पढ़े गये शायरों / कवियों की कविताएं इस प्रकार है:-
मैं तेरे ख़्वाब वापस कर रहा हूँ।
मेरी आँखों में गुन्जाइश नहीं है।।
“अबरार काशिफ”
किसी शै का कद है न जिस्म है।
तेरा शहर है कि तिलिस्म है।।
“महेश अश्क”
मोहब्बत करने वालो की हिमायत मैं भी करता था।
हिमायत शर्त थी क्योंकि मोहब्बत मैं भी करता था।।
“डा० कलीम कैसर”
हम नींद से उठ जाते है ये सोच के अक्सर
इस मुल्क की सरहद ने पुकारा तो नहीं है।।
“सैफ बाबर”
‘मुरझायें कोई फूल तो गुल्दान रो पड़े।
एक शख्स मारा जाये तो इन्सान रो पड़े।।
“निकहत अमरोहवी”
सुना है लोग है माहिर हवा चलाने में।
हुनर न छोड़ेगें हम दिया जलाने में।।
“डॉ० माजिद देवबंदी”
यही जुनूं यही एक ख्वाब मेरा है।
तर वहाँ चराग जला दो जहाँ अंधेरा है।।
“इकबाल अशअर”
मुशायरे में अज्म शाकरी, नदीम फर्रुक, सैफ बाबर और अचानक मौवी ने भी कलाम पेश किया। मुशायरे की निज़ामत श्री नदीम फर्रुक ने की। इस मौके पर अकादमी के कार्यकारिणी सदस्य एम आजाद अंसारी भी मौजूद थे। अंत में अकादमी के सचिव द्वारा कवियों एवं श्रोताओं को धन्यवाद दिया गया।