लेखक:नौशाद अह़मद ज़ैब रज़वी, इलाहाबाद
- आपकी पैदाइश 7 रबीउल अव्वल 80 हिजरी में मदीना शरीफ में हुई
- आपका नाम जाफर और लक़ब सादिक़ है
- आपके वालिद का नाम हज़रत इमाम बाक़र रज़ियल्लाहु तआला अन्हु है जो कि हज़रत सय्यदना इमाम ज़ैनुल आबेदीन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के बेटे हैं और वालिदा का नाम उम्मे फरदह रज़ियल्लाहु तआला अन्हा है ये अमीरुल मोमेनीन सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु के बेटे हज़रते अब्दुर रहमान की बेटी हज़रते आसमा के साहबज़ादे हज़रते क़ासिम की बेटी हैं
- आपकी 7 औलादें हुई जिसमे 6 बेटे और एक बेटी है
- आपके खुल्फये खास में हज़रते इमाम मूसा काज़िम हज़रते इमामे आज़म अबू हनीफा व हज़रत बायज़ीद बुस्तामी रिज़वानुल लाहि तआला अलैहिम अजमईन सरे फेहरिस्त हैं
- आप बहुत ही मुत्तक़ी और परहेज़गार थे हज़रते इमाम मालिक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि मैं बहुत वक़्त उनके साथ रहा मगर हमेशा उनको इबादत ही करते पाये या तो वो नमाज़ में होते या कुरान पढ़ रहे होते या फिर रोज़े से होते
- एक दिन आप एक खूबसूरत जुब्बा पहने हुए बाज़ार से गुज़र रहे थे किसी ने आपसे कहा कि ये आले रसूल को ज़ेब नहीं देता कि इतना आली शान कपड़ा पहने तो आप उसे अपने कपड़े के अन्दर का जुब्बा दिखाया जो कि निहायत ही सख्त और खारदार था आप फरमाते हैं कि ये मेरे खुदा के लिए है और जो दिख रहा है वो तुम्हारे लिए है
- आपसे बेशुमार करामतें ज़ाहिर है चन्द तहरीर करता हूं
! जनाब अबू बशीर का बयान है कि मैं मदीना मुनव्वरा गया हुआ था,एक दिन मैंने अपनी कनीज़ से सोहबत की और गुस्ल के लिए जा ही रहा था कि लोगों का हुजूम एक तरफ जाते देखा मैं भी उसी तरफ चल दिया,तमाम लोग हज़रते इमाम जाफर सादिक़ की बारगाह में पहुंचकर उनकी ज़ियारत करने लगे मैं भी शामिल हो गया,जब हज़रत की नज़र मुझ पर पड़ी तो फरमाते हैं कि क्या तुम्हे पता नहीं कि नबी और नबी की आल की बारगाह में जनाबत की हालत में नहीं आते मैं ये सुनकर हैरान रह गया और फौरन तौबा की और आइंदा ऐसा ना करने का अहद किया
! एक शख्स को खलीफये मंसूर ने क़ैद कर दिया था आपने किसी से उसके बारे में दरयाफ्त किया तो बताया गया कि वो क़ैद में है,आप फरमाते हैं कि अभी एक घंटे में वो रिहा कर दिया जायेगा और फिर वैसा ही हुआ कि जैसा कि इमाम ने फरमाया था वो रिहा कर दिया गया
! एक मर्तबा खलीफये मंसूर ने आपको दरबार में बुलवाया और अपने सिपाहियों से कह दिया कि जैसे ही मैं इशारा करूं तुम लोग उनको क़त्ल कर देना,जब हज़रत सय्यदना इमाम जाफर सादिक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु दरबार में हाज़िर हुए तो खलीफा भागता हुआ आपके पास खुद हाज़िर हुआ और आपको अदबो एहतेराम से बिठाया और कहा कि अगर आपको कुछ भी अर्ज़ हो तो कहें आप फरमाते हैं कि दोबारा मुझे दरबार में ना बुलाया जाए,ये कहकर आप चले गए मंसूर के सिपाही हैरानो शशदर थे कि आखिर माजरा क्या है उन लोगों ने खलीफा से पूछा तो कहने लगा कि जैसे ही इमाम दरबार में हाज़िर हुए मैंने देखा एक बहुत बड़ा अज़्दहा जिसने अपना मुंह फाड़कर मेरे पूरे महल को उसमे समां लिया और कहने लगा कि अगर ज़र्रा बराबर भी तूने इमाम को तकलीफ पहुंचाई तो मैं अभी इन सबको बर्बाद कर दूंगा,फिर जो हुआ वो तो तुम लोगों ने देख ही लिया
- आपका विसाल 68 साल की उम्र में यानि 15 रजब 148 हिजरी जुमा के दिन हुआ
📕 मसालिकस सालेकीन,जिल्द 1,सफह 217–223
📕 शवाहिदुन नुबूवत,सफह 332
📕 तज़किरातुल औलिया,सफह 15-17