बाराबंकी

समाज के प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति को इज़्ज़त मिलनी चाहिए : इरशाद अहमद कमर

बाराबंकी(अबू शहमा अंसारी)। आज समाज में बहुत सी बुराइयाँ पैदा हो गई हैं, इन बुराइयों को जाति व धर्म से उठकर प्रत्येक व्यक्ति को समाप्त करने में अपना पूर्ण योगदान देना चाहिए, ताकि भेदभाव मुक्त सामाजिक व्यवस्था कायम हो सके। उक्त विचार ग्राम डंडिया मऊ में क़मर फाउन्डेशन द्वारा आयोजित एक सेमिनार में मुख्य अतिथि चैयरमैन नगर पंचायत फतेहपुर, इरशाद अहमद कमर ने व्यक्त किये। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग एक दूसरे से जाति एवं धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं। जबकि ईश्वर ने किसी भी इंसान से किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया। ईश्वर ने सभी के सर्दी, गर्मी व बरसात जैसे मौसम दिए, प्रकाश के लिए सूर्य, चद्रमा दिया अनेक प्रकार की वस्तुएँ और सुविधाएँ दीं।
कमर फाउन्डेशन की ओर से आयोजित इस सेमिनार की अध्यक्षता सद्गुरु आश्रम के महंत लक्षमेन्द्र दास ने और संचालन अहमद सईद हर्फ़ ने किया, जबकि बतौर मुख्य अतिथि नगर पंचायत फतेहपुर के चैयरमैन इरशाद अहमद कमर ने शिरकत की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सद्गुरु आश्रम के महन्त लक्षमेन्द्र दस जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए शिक्षा बहुत ज़रूरी है जो लोग अशिक्षित रह गए हैं वो यह तय करें कि वो अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाएंगे आज शिक्षा के अभाव के कारण गावों में जो जातीय भेदभाव व्याप्त है उसे हम सभी को समाप्त करना है। क़मर फाउन्डेशन के संस्थापक मेराज अहमद कमर ने अपने सम्बोधन में कहा कि साम्प्रदायिक घृणा देश और समाज के लिए घातक है। समाज के लोगों को जागरूक करना होगा कि वो आपस में मिलजुलकर रहें और एक दूसरे से प्रेम और स्नेह के साथ पेश आएँ तथा एक दूसरे के दुःख, दर्द में शरीक हों और एक दूसरे का बगैर किसी भेदभाव के सहयोग करें। तभी हमारा समाज ख़ुशहाल हो सकता है और सभी के चेहरों पर मुस्कान हो सकती।
मुख्य वक्ता के तौर पर मौलाना मिनहाज आलम नदवी ने अपने बयान में कहा कि हम सब एक आदम की संतानें हैं इसलिए आपस में भाई-भाई हैं। अंग्रेज़ों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए और देश को तोड़ने के लिए हिन्दू और मुस्लिम को आपस में लड़ाया फिर हिन्दू भाईयों और मुस्लिम भाइयों को जाति के आधार पर आपस में लड़ाया और जाते जाते हमारे देश में नफरत और ईर्ष्या का ऐसा बीज बो गए जिसका खामयाजा आज भी हम लोग भुगत रहे हैं। लेकिन अब हमें अल्लाह के उस पैगम्बर की इत्तिबा करनी है जिसने सभी इंसानों को आपसी मेल-मोहब्बत से रहने का संदेश दिया है और पड़ोसी कैसा भी हो, किसी भी धर्म का मानने वाला हो इसके साथ अच्छे अखलाक और अच्छे व्यवहार से पेश आने का हुक्म दिया है। क़मर फाउन्डेशन चन्द लोगों की एक संस्था नहीं बल्कि एक तहरीक है जो समाज और मुल्क को नफरत से आज़ाद कराएगी। जमाते-इस्लामी के सक्रिय सदस्य हाफिज अब्दुल हई ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जाति, धर्म और सियासत की बिना पर कुछ लोग समाज को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वो कभी अपने नापाक इरादों और मक़सद में कामयाब नहीं हो सकते। क्योंकि अब लोग भी जातीय भेदभाव से ऊब चुके हैं और मोहब्बत से मिलजुलकर रहना चाहते हैं। इस्लाम धर्म में किसी से भी भेदभाव करने के लिए सख्ती से मना किया गया है।
इस अवसर पर सभासद विमल कुमार, हाफिज अब्दुल अजीज, ज़फरुल इस्लाम पप्पू, मोहम्मद अलीम, मास्टर फ़ैज़ आलम, दिनेश कुमार, जगजीवन आदि लोग उपस्थित रहे।

समाचार अपडेट प्राप्त करने हेतु हमारा व्हाट्सएप्प ग्रूप ज्वाइन करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *